क्या करें जब अस्पताल आपको ना करें एडमिट?

punjabkesari.in Wednesday, Jun 10, 2020 - 05:10 PM (IST)

भारत में कोरोना मरीजों का संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। आलम यह है कि हॉस्पिटल में मरीजों के लिए पर्याप्त जगह भी नहीं बची है। यही नहीं, कुछ अस्पताल में तो नए मरीजों को भर्ती भी नहीं जा रहा, जिसकी वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल जाते वक्त बहुत कम लोगों को इस बात का पता होता है कि एक उपभोक्ता के नाते उनके भी अधिकार हैं। ऐसे में हर किसी को अस्पताल जाने से पहले अपने अधिकार पता होने चाहिए।

अस्पताल आपको भर्ती करने से मना करें तो..?

कोरोना संकट के इस दौरान में अगर कोई अस्पताल आपको भर्ती करने से मना करता है तो आप सरकार द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर सकते हैं।

अस्पताल में दाखिल होने के पहले जरूर ध्यान में रखनी चाहिए ये 8 बातें...

1. स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले अस्पताल 'मेडिकल क्लीनिक कंज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट' के अंदर आती है। ऐसे में अगर डॉक्टर की लापरवाही का मामला हो या सेवाओं को लेकर कोई शिकायत हो तो उपभोक्ता हर्जाने के लिए उपभोक्ता अदालत जा सकते हैं।

2. अगर कोई व्यक्ति नाज़ुक स्थिति में अस्पताल पहुंचता है तो सरकारी और निजी अस्पताल को तुरंत मदद देनी चाहिए। वहीं, जान बचाने के लिए जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं देने के बाद ही अस्पताल मरीज से पैसे मांग सकता है। इसके अलावा गरीब मरीजों को इमरजेंसी मेडिकल मदद के लिए एक आर्थिक फंड बनाने का प्रस्ताव किया गया था। हालांकि इसमें कोई खास प्रगति नहीं हुई।

3. मरीज को इलाज पर खर्च, उसके फायदे, नुकसान और इलाज के विकल्पों के बारे में बताया जाना चाहिए। साथ ही इलाज और खर्च के बारे में जानकारी अस्पताल में स्थानीय और अंग्रेजी भाषाओं में लिखी होनी चाहिए, ताकि मरीज को समझने में मदद मिले।

4. किसी भी मरीज या उसके परिवार को अधिकार है कि अस्पताल उन्हें केस से जुड़े सभी कागजात की फोटोकॉपी दे। ये फोटोकॉपी अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे के भीतर और डिस्चार्ज होने के 72 घंटे के भीतर दी जानी चाहिए।

5. डॉक्टर का फर्ज है कि वो मरीज की निजी जानकारियों को गोपनीय रखे।

6. किसी बड़ी सर्जरी से पहले डॉक्टर का फर्ज है कि वो मरीज या फिर उसका ध्यान रखने वाले व्यक्ति को सर्जरी के दौरान होने वाले मुख्य खतरों के बारे में बताए। पूरी जानकारी देने के बाद सहमति पत्र पर दस्तखत करवाए।

7. अगर डॉक्टर कहते हैं कि वो अस्पताल की ही दुकान से दवा खरीदें या फिर अस्पताल में ही डायग्नॉस्टिक टेस्ट करवाएं तो ये उपभोक्ता के अधिकारों का हनन है। उपभोक्ता को आजादी है कि वो जहां से चाहे वहीं से टेस्ट करवाए और दवा लें।

8. इमरजेंसी हालत में पूरा या एडवांस भुगतान किए बगैर आपको इलाज से मना ​नहीं किया जा सकता।

एक नागरिक और मरीज होने के नाते आपको अपने ​अधिकारों के लिए जागरूक होना पड़ेगा। देश में स्वास्थ्य संबंधी व्यापक नीतियों और स्पष्ट कानूनों की कमी है, जिसके बारे में हर किसी को जानकारी होना जरूरी है।

Content Writer

Anjali Rajput