रवींद्रनाथ टैगोर की ऐसी बातें जो आज भी लोगों को देती हैं प्रेरणा

punjabkesari.in Friday, May 22, 2020 - 01:17 PM (IST)

भारतीय राष्ट्रगान के रचयिता और साहित्य रवीन्द्रनाथ टैगोर को भला कौन नहीं जानता। रवींद्रनाथ टैगोर ही नोबल पुरस्कार के पहले विजेता थे। कोलकाता में जन्में रवींद्रनाथ को बचपन से ही पढ़ने लिखने का शौक था। उन्होंने अपनी पहली कविता आठ साल की उम्र में लिखी थी, जो आज भी लोगों को प्रेरणा देती है।

 

देश के लिए जीता पहला नोबेल पुरस्कार

साहित्य की शायद ही कोई ऐसी शाखा हो, जिनमें रवींद्रनाथ टैगोर की रचनाएं नहीं हो। रवींद्रनाथ टैगोर ऐसे पहले शख्स है, जिनकी रचनाओं को 2 देशों में राष्ट्रगान के रूप में गाया जाता है। इनमें एक है भारत का जन गण मन… और दूसरा है बांग्लादेश का अमार शोनार बांग्ला…। अपनी लोकप्रिय रचना गीतांजलि के लिए 1913 में नोबेल अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले रवींद्रनाथ पहले भारतीय थे। उसके बाद उन्हें ‘नाइटहुड’ की उपाधि से संबोधित किया जाने लगा।

रवींद्रनाथ टैगोर की प्रेरणादायक बातें...

1. रवींद्रनाथ टैगोर जीवन में विश्वास को सबसे अहम मानते थे। उनका कहना था कि विश्वास वह पक्षी है जो अंधकार में प्रकाश का अनुभव करवाता है। वह कहा करते थे कि केवल पानी पर खड़े होकर या उसे देखकर समुद्र पार नहीं किया जाता। उससे पार करने के लिए कदम बढ़ाना होगा।

2. सभी गलतियों के लिए अगर आप दरवाजे बंद कर दोगे तो सत्य बाहर रह जाएगा।

3. हम यह प्रार्थना न करें कि हमारे ऊपर समस्या न आए बल्कि यह प्रार्थना करे की हम उनका सामना निडर हो करें।

4. हर वह कठिनाई जिससे आप अपना मुंह मोड़ लेते हैं वह एक भूत बन कर आपकी नीद में खलल डालेगी।

5. उच्चतम शिक्षा वो नहीं जो हमें सिर्फ जानकारी देती है बल्कि वह है जो हमारे जीवन को सफलता का एक नया आयाम देती है।

6. वो जो अच्छाई  करने में बहुत ज्यादा व्यस्त है, स्वयं अच्छा होने के लिए समय नहीं निकाल पाता।

7. आपकी मूर्ती का टूट कर धूल में मिल जाना इस बात को साबित करता है कि इश्वर की धूल आपकी मूर्ती से महान है।

8. केवल प्रेम ही वास्तविकता है, ये महज एक भावना नहीं है। यह एक परम सत्य है जो सृजन के ह्रदय में वास करता है।

9. चेहरे बहुत होते हैं पर सच्चाई सिर्फ एक होती है।

10. प्रसन्न बने रहना बहुत सरल है, परन्तु सरल बने रहना बहुत कठिन है।

Content Writer

Anjali Rajput