मिसाल: किसी ने किताबें तो किसी पिता ने टॉयलेट देकर की बेटी की विदाई

punjabkesari.in Friday, Mar 13, 2020 - 03:11 PM (IST)

दहेज प्रथा भारत में प्रचलित कोई अनोखी प्रथा नहीं है। जब माता-पिता अपनी बेटी की शादी करते हैं तो वो उसे उपहार स्वरूप गहने, कपड़े, जवाहरात, वाहन या नकदी पैसे देते हैं, ताकि उसे ससुराल में कोई दिक्कत ना हो वो खुश रहें।

मगर, दहेज में बाइक, अलमारी और सोफासेट देने की बातें अब पुरानी हो चुकी हैं। अब ना सिर्फ शहरी इलाकों में लोगों की सोच काफी बदल चुकी है। इसी बात का सबूत है कुछ अनोखी कहानियां, जिनके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

पहली कहानी: जब बेटी ने पिता से दहेज में मांगी किताबें

सबसे पहले बात करते हैं हाल ही में गुजरात के राजकोट में हुई एक शादी है, जिसमें बेटी ने अपने पिता से ऐसा अनोखा तोहफा मांग लिया, जो हर किसी को हैरान कर देगा। दरअसल, गुजरात के राजकोट इलाके में रहने वाले हरदेव सिंह जाडेजा की बेटी किन्नारी बा को पढ़ने का खूब शौक है। उन्होंने बेटी के लिए घर में ही 500 किताबों की लाइब्रेरी भी बनवा रखी है। मगर, उन्हें यह नहीं पता था कि उनकी बेटी दहेज के रूप में भी किताबें ही मांग लेगी। 

जब किन्नरी ने पिता से कहा कि मेरी शादी में आप दहेज के तौर पर गहने रुपए नहीं बल्कि मेरे वजन के बराबर किताबें दें तो उनके पिता हरदेव ने उसकी इच्छा पूरी करने का फैसला किया। फिर क्या था, पिता ने पहले बेटी की पसंदीदा किताबों की लिस्ट बनाई और फिर दिल्ली, काशी व बेंगलुरु समेत कई शहरों से उन्हें इकट्ठा किया, जिसमें उन्हें 6 महीने का समय लग गया।

उन्होंने दहेज में अपने बेटी को पढ़ने के लिए करीब 2200 किताबें देकर विदा किया,। इस बुक्स क्लैक्शन में महर्षि वेद व्यास से लेकर मॉर्डन लेखकों की लिखी कई किताबें शामिल है, जो सिर्फ हिंदी नहीं बल्कि अंग्रेजी व गुजराती भाषा में भी है। इसमें कुरान, बाइबिल समेत 18 पुराण भी हैं।

दूसरी कहानी: बेटी की शादी लेकिन गरीबों का भला

जब पिता बेटी की शादी करता है तो वो सिर्फ उसकी खुशी की बारे में सोचता है। मगर, औरंगाबाद के व्यापारी अजय मनौट ने बेटी की शादी की खुशी में गरीब लोगों की जिंदगी सवार दी। दरअसल, उन्होंने बेटी के शादी के उपलक्ष्य में 90 घरों के निर्माण करवाया और बेघर व गरीब लोगों को दान भी किया। घरों को बनाने में 220,000 डॉलर से अधिक खर्च आया।

अपने इस महान सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने विवाह समारोह में जितना हो सके उनता कम खर्च करने की कोशिश की। उनके इस महान फैसले में उनके दोस्तों और परिवारवालों ने उनका समर्थन किया। मनौट की बेटी अपने पिता के निर्णय से बहुत खुश है। वह कहती हैं 'मैं इस फैसले से बहुत खुश हूं और इसे अपने विवाह का उपहार समझूंगी।

तीसरी कहानी: बेटी को गिफ्ट में मिला शौचालय

भले ही लोगों की सोच बदलाव आ रहा हो लेकिन बावजूद इसके आज भी कई घर ऐसे हैं, जहां शौचायल नहीं है। इस परेशानी का सामना महिलाओं को करना पड़ता है। ऐसे में यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में एक बाप ने अपनी लाडली बेटी तबस्सुम के लिए ससुराल में शौचालय बनवा दिया। उन्होंने बेटी को दहेज नहीं दिया पर शौचालय गिफ्ट कर दिया। इसके बाद तबस्सुम खुशी-खुशी विदा होकर अपने ससुराल गई।

 

तबस्सुम कहती हैं कि जब मुझे पता चला ससुराल में शौचालय नहीं है तो बहुत घबराहट हुई। उन्होंने अपनी अम्मी से दिल की बात कही और उनकी मां ने बेटी का दर्द समझते हुए तबस्सुम के पिता से बात की। फिर क्या था उनके पिता ने ससुराल वालों से बात की लेकिन ससुराल वालों की माली हालत खराब थी। ऐसे में आखिरकार तबस्सुम के पिता ने कहा कि मैं अपनी बेटी के लिए शौचालय बनवाऊंगा और ससुराल वाले भी राजी हो गए। इकबाल कहते हैं कि बेटियां बाहर सुरक्षित नहीं, आए दिन घटनाएं होती रहती हैं। ऐसे में उनके पिता ने बेटी के लिए शौचायल बनवाकर एक नई पहल की है।

 

Content Writer

Anjali Rajput