शनि जयंतीः ऐसे करेंगे पूजा अर्चना तो शनिदेव होंगे प्रसन्न

punjabkesari.in Friday, May 22, 2020 - 09:39 AM (IST)

ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनिदेव का जन्मोत्सव मनाया जाता है, जो इस बार 22 मई को है। माना जाता है कि शनिदेव की पूजा करने से शनि साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा से मुक्ति मिल जाती है। मगर, शनिदेव की पूजा करते समय बहुत सी बातों का ख्याल रखना जरूरी है। कोरोना संकट के चलते लोग मंदिर नहीं जा पाएंगे लेकिन आप घर पर रहकर ही शनि जयंती मना सकते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि शनिदे‌व की पूजा करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखें...

शनि जयंती की तिथि और शुभ मुहूर्तः

शनि जयंती की त‍िथ‍ि: 22 मई 2020 
अमावस्‍या तिथि प्रारंभ: 21 मई 2020 को रात 9 बजकर 35 मिनट से 
अमावस्‍या तिथि समाप्‍त: 22 मई 2020 को रात 11 बजकर 8 मिनट तक

क्यों खास होती है शनि जयंती?

साढ़ेसाती और ढैय्या के कारण परेशान लोगों के लिए शनि जयंती बहुत खास होती है क्योंकि इस दिन पूजा, व्रत और दान करने से इसके प्रभाव कम हो जाते हैं।

कर्मों के हिसाब से फल देते हैं शनिदेव

शनि सूर्य पुत्र हैं और उनकी माता छाया हैं। राशि चक्र के अनुसार शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। शनि लोगों को उनके कर्मों के आधार पर फल देते हैं।

ऐसे करें शनिदेव की पूजा

. सुबह स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें। मगर, काले कपड़े पहननें से बचें।
. सबसे पहले शनिदेवता की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करवाएं। इसके बाद अबीर, गुलाल, काजल लगाकर नीले या काले फूल अर्पित करें।
. शनिदेव की मूर्ति या मंदिर में सुपारी रखकर उसके दोनों तरफ शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाकर धूप जलाएं।
. भोग स्वरूप इमरती व तेल से बना प्रसाद या फल और कपड़े चढ़ाए।
. पूजा करने के बाद शनि मंत्र का एक माला जप करें।
. शनि चालीसा और शनि स्त्रोत का पाठ करने के बाद आरती उतारकर पूजा संपन्न करें।

शनि जयंती पर क्या करें

. पूजा करने के दिन सूर्योदय से पहले शरीर पर तेल मालिश कर स्नान करना चाहिए।
. दंपत्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
. किसी जरूरतमंद गरीब व्यक्ति को तेल में बनी चीजें दान करें।
. गाय और कुत्तों को भी तेल से बनी चीजें खिलाएं।
. अपनी वाणी को शुद्ध रखें और बुजुर्गों और जरुरतमंदों को अपशब्द ना कहें।
. शाकाहारी भोजन ही खाएं।
. बड़े- बुजुर्गों का सम्मान और बच्चों से प्यार से करें।

शनि मंत्र:

-ॐ त्र्यम्बकं यजामहे पुष्टिवर्धनम। उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षयी मा मृतात.
-ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
-ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:

Content Writer

Anjali Rajput