सावन स्पैशलः यहां पढ़िए सावन व्रत कथा, भोलेनाथ हर मनोकामना करेंगे पूरी
punjabkesari.in Sunday, Jul 05, 2020 - 01:21 PM (IST)
हिंदू धर्म में सावन व्रत को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि शिव व्रत रखने से हर किसी की मनोकामना पूरी होती है। कुवांरी लड़कियों को इस व्रत से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। वहीं, यह व्रत करने से विवाहित स्त्री के पति की उम्र लंबी और रिश्ता मजबूत होता है। लेकिन आप अच्छी सेहत व अन्य मनोकामनाओं की पूर्ति करने के लिए भी यह व्रत रख सकते हैं। अगर आप भी इस बार सोमवार व्रत रख रही हैं तो कुछ नियमों का पालन करने के अलावा सोमवार व्रत कथा जरूर पढ़ें। चलिए आपको सुनाते हैं सावन सोमवार व्रत कथा।
सावन व्रत पूजन विधि
सुबह स्नान करने के बाद शिवलिंग की विधि-विधान पूजा करें और सूरज को जल जरूर दें। भगवान शिव को पंचामृत, पुष्प, धूप, धतूरा, चंदन, चावल, शहद और बेल पत्री चढ़ाएं और आरती गाएं। इसके बाद उन्हें भोग लगाएं और पूरा दिन व्रत रखें। अगली सुबह भगवान की अराधना करके व्रत खोलें।
यहां पढ़िए सावन सोमवार व्रत की पूरी कथा
एक समय की बात है किसी नगर में एक साहूकार रहता था। उसके घर में धन की कोई कमी नहीं थी। मगर, कोई संतान ना होने के कारण वह बहुत दुखी रहता था। संतान प्राप्ति के लिए उसने पूरी श्रद्धा से सोमवार रखें। वह मंदिर जाकर भगवान शिव व पार्वती माता की विधि-विधान पूजा करता था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर मां पार्वती ने भगवान शिव से उस साहूकार की मनोकामना पूर्ण करने का आग्रह किया। इसपर भगवान शिव ने कहा, ‘हे पार्वती, प्रत्येक व्यक्ति को भाग्य में जो हो वहीं मिलता है। हर प्राणी को उसके कर्मों का फल मिलता है।’ मगर, माता पार्वती ने उनकी मनोकामना पूरी करने का आग्रह किया। इसपर शिवजी ने साहूकार को पुत्र-प्राप्ति का वरदान दे दिया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उसके बालक की आयु केवल 12 वर्ष होगी। साहूकार माता पार्वती और भगवान शिव की बातें सुन रहा था इसलिए उसे इस बात की ना खुशी ना दुख हुआ और वह पहले की तरह शिवजी की पूजा करता रहा।
कुछ समय के बाद साहूकार के घर एक पुत्र का जन्म हुआ। जब उनका बेटा 11 साल का हुआ तो साहुकार ने अपने बेटे को मामा के साथ पढ़ाई के लिए काशी भेज दिया। उसके अपने पुत्र को बहुत सारा धन दिया और कहा कि रास्ते में यज्ञ व ब्राह्मणों को भोजन करवाते हुए जाना। आज्ञा अनुसार, मामा-भांजे काशी की ओर चल दिए। रास्ते में एक नगर पड़ा, जहां राजा की कन्या का विवाह था। मगर, जिस राजकुमार से उसका विवाह होने वाला था वह एक आंख से काना था इसलिए राजकुमार के पिता ने लड़की वालों को यह बात नहीं बताई। साहूकार के पुत्र को देखकर उसे एक विचार आया। उसने साहूकार के पुत्र को राजकुमार की जगह जाने के लिए कहा। राजकुमार के पिता ने कहा कि विवाह के बाद मैं तुम्हें धन दे दूंगा और राजकुमारी को अपने नगर ले जाऊंगा। बहुत मना करने के बाद साहूकार का पुत्र मान गया।
उसने लड़के को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर राजकुमारी से विवाह कर लिए लेकिन विवाह के पश्चात उसने राजकुमारी की चुन्नी के पल्ले पर लिखा कि ‘तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ है लेकिन जिस राजकुमार के संग तुम्हें भेजा जाएगा वह एक आंख से काना है। मैं तो काशी पढ़ने जा रहा हूं।’ जब राजकुमारी ने उसे पढ़ा तो उसने अपने माता-पिता को यह बात बताई और राजकुमार के साथ जाने से मना कर दिया। वहीं, साहूकार का लड़का व उसका मामा काशी पहुंचकर यज्ञ करने लगे। उसी दिन लड़का 12 वर्ष का हो गया था। लड़के ने अपने मामा से कहा कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है तो मामा ने उसे अंदर जाकर सोने को कहा। शिवजी के वर के अनुसार, साहूकार के पुत्र की मृत्यु हो गई। तभी भगवान शिव व माता पार्वती उधर से गुजर रहे थे।
माता पार्वती ने भगवान से कहा , स्वामी मुझे किसी के रोने का स्वर सहन नहीं हो रहा। कृप्या आप उस व्यक्ति के कष्ट दूर करें। तभी शिवजी ने कहा कि यह उसी साहूकार का पुत्र है, जिसे मैंने 12 वर्ष की आयु का वरदान दिया। माता पार्वती भावुक हो गई और कहा, भगवन आप इस लड़के की आयु बड़ा दें नहीं तो इसके माता-पिता पुत्र वियोग में तड़प-तड़प कर मर जाएंगे। पार्वती मामता के आग्रह करने पर भगवान शिव ने लड़के को जीवित होने का वरदान दे दिया।
इसके बाद लड़का शिक्षा पूरी करने के बाद मामा के साथ नगर की ओर चल पड़ा। तभी वह उस नगर में पहुंचा, जहां उसका विवाह हुआ थी। उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया कि तभी लड़की के पिता ने लड़के को पहचान लिया और उसे महल में ले गया। वहां उसकी खातिरदारी की गई और फिर उन्होंने अपनी पुत्री को विदा कर दिया। साहूकार और उसकी पत्नी भूखे-प्यासे बेटे का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने प्रण लिया था कि अगर उसका बेटा नहीं लौटा तो वह प्राण त्याग देंगे। तभी अपने बेटे के जीवित होने का समाचार पाकर वह काफी खुश हुए।
उसी रात भगवान शिव ने व्यापारी के सपने में आकर कहा, 'हे श्रेष्ठी, मैंने तेरे सोमवार के व्रत करने व व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लंबी आयु प्रदान की है। जो कोई भी इसी प्रकार सोमवार व्रत व कथा सुनेगा या पढ़ेगा, उसके सभी दुख दूर होंगे और सभी मनोकामनाएं पूरी होगी।'