भगवान विष्णु के लिए मां लक्ष्मी ने बांधी थी राजा बलि को राखी, जानिए पूरी कहानी

punjabkesari.in Tuesday, Jul 28, 2020 - 11:42 AM (IST)

भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन पर्व का खास महत्व है। इस दिन भाई अपनी बहनों के हाथों में राखी बांधती है और भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है। यह त्यौहार कहां से शुरू हुआ इसका प्रमाण तो ग्रंथों में नहीं मिलता लेकिन रक्षाबंधन से जुड़ी कई प्रथाएं जरूर प्रचलित है। ऐसी ही एक कथा है माता लक्ष्मी और दैत्यराज बलि की, जिसमें मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को संकट में उभारने के लिए दैत्यराज बलि को राखी बांधी थी। चलिए आपको बताते हैं पूरी कहानी।

वामन भगवान ने मांगी दैत्यराज बाली से तीन पग जमीन

स्कन्द पुराण के अनुसार, स्वर्ग को पाने के लिए दैत्यराज बलि ने घोर तपस्या और यज्ञ किया। भय के कारण राजा अन्य देवताओं के साथ भगवान विष्णु के पास पहुंचे। भगवान विष्णु वामन अवतार धारण कर राजा बलि के पास भिक्षा मांगने पहुंचे। वामन अवतार में होने का कारण दैत्यराज उन्हें पहचान नहीं पाए। जब बलि ने उन्हें भिक्षा मांगने के लिए कहा तो वामन भगवान ने उनसे 3 पग जमीन मांग ली। वामन भगवान ने एक पग में स्वर्ग तो दूसरे में पृथ्वी नाप ली और तीसरा पग रखने की जगह नहीं बची। अब बलि के सामने संकट उत्पन्न हुआ। अगर वह वचन तोड़ता तो अधर्म होता। तभी बलि ने भगवान विषुण को अपने सिर पर तीसरा पग रखने के लिए कहा।

राजा बलि को वरदान देकर संकट में फंस गए थे भगवान विष्णु

वामन भगवान के बलि के सिर पर पैर रखते ही वह सुतल लोक में पहुंच गया। बलि की उदारता देख वामन भगवान से बलि को सुतल लोक का राज्य दे दिया और एक वर मांगने को कहा। बलि ने भगवान विष्णु से उनका द्वारपाल बनने की मांग की और भगवान वामन को उनकी इच्छा पूरी करनी पड़ी। तभी लक्ष्मीजी चिंता में पड़ गईं।

इसलिए मां लक्ष्मी ने बांधी दैत्यराज को राखी

तब देवर्षि नारद ने उन्हें बलि की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उसे भाई बनाने के लिए कहा। लक्ष्मीजी ने ऐसा ही किया और बलि की कलाई पर राखी बांध दी। जब बलि ने लक्ष्मीजी से वर मांगने को कहा तो उन्होंने विष्णु जी को मांग लिया। इस तरह रक्षासूत्र से देवी लक्ष्मी को अपने पति दोबारा मिल गए।

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Content Writer

Anjali Rajput