बचपन में घर छोड़कर जाने लगी थीं लता, फिर खुद को मिला था एक बड़ा सबक

punjabkesari.in Monday, Sep 28, 2020 - 01:00 PM (IST)

फेमस सिंगर लता मंगेशकर को Nightingale of Bollywood कहा जाता है। लता जी ने 7 दशक से भी ज्यादा समय तक संगीत की सेवा की और हजारों गाने गाए। मराठी परिवार में जन्मी लता मंगेशकर जब छोटी थी तो उनके पिता का देहांत हो गया जिसके बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनपर आ गई। वे अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी है. उनसे छोटी है बहन मीना, आशा और उषा। साथ ही भाई हृदयनाथ। लता के सभी बहन-भाईयों ने संगीत में नाम कमाया लेकिन लता जी को दर्शकों का ज्यादा प्यार मिला।

बॉलीवुड की फेमस सिंगर लता मंगेशकर

जब लता मंगेशकर छोटी थीं तो बात-बात पर गुस्सा जाती थीं और रूठ जाया करती थीं। खबरों की माने तो वह अटैची में कपड़े बांध घर से बाहर निकल जाती थीं। हर बार घर वाले उन्हें वापिस बुला लेते थे। एक बार उन्होंने किसी बात से नाराज होकर ऐसा फिर से किया। मगर उन्हें किसी ने आवाज नहीं लगाई, ना कोई उन्हें रोकने आया। लता काफी देर तक अकेली बैठी रहीं। बाद में उन्हें खुद अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने तय लिया कि वे फिर कभी ऐसा नहीं करेंगी।

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पिता की मौत के बाद लता पर आई परिवार की जिम्मेदारी

जब लता जी अकेले परिवार की जिम्मेदारियां संभाल रही थी तो नवयुग चित्रपट मूवी कंपनी के मालिक मास्टर विनायक ने लता और उनकी फैमिली की देखभाल की। उन्होंने लता के सिंगर और एक्ट्रेस बनने की राह आसान की। कम ही लोग जानते हैं कि लता जी को फिल्मों में भी काम करने का ऑफर मिला था लेकिन उन्होंने अपना सिगिंग करियर ही चुना।  साल 1945 को लता जी मुंबई आई फिर फिल्म बड़ी मां से अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में गाने गाए। एक समय लता की जिंदगी में ऐसा भी था जब उनकी पतली आवाज की वजह से उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आगे बढ़ती गईं।

लता-सुर गाथा में लता की जिंदगी के दिलचस्प किस्से

लता मंगेशकर की जिंदगी से जुड़े कई दिलचस्प किस्से 'लता-सुर गाथा' किताब में मिलते हैं, जिसे कवि व संगीत के स्कालर यतींद्र mishra ने लिखा। यतींद्र ने इस पुस्तक को तैयार करने के लिए लता मंगेशकर के साथ 6 साल तक टुकड़ों-टुकड़ों में बातचीत की है।

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इस पुस्तक में एक किस्सा शामिल है जोकि 1948-49 जमाने का है। उस वक्त रिकॉर्डिंग स्टूडियो नहीं होते थे, न ही अलग से कोई व्यवस्था। अक्सर गाने को कैद करने के लिए खाली स्टूडियो, पेड़ों के पीछे की जगह या फिर ट्रक के अंदर व्यवस्था की जाती थी। इस गाने से जुड़े अनुभव के बारे में लता बताती हैं, 'फिल्म लाहौर की शूटिंग चल रही थी, बॉम्बे टॉकीज में जद्दनबाई और नरगिस दोनों मौजूद थीं। मैंने वहीं अपना गाना रिकॉर्ड करना शुरू किया। जद्दनबाई ध्यान से सुनती रहीं। बाद में मुझे बुलाकर कहा- 'इधर आओ बेटा, क्या नाम है तुम्हारा। जी लता मंगेशकर।'

अपनी ही गाने से मिली तारीफ से डर गई थीं लता जी

आगे उन्होंने कहा 'अच्छा तुम मराठन हो ना?' 'जी हां, 'इस पर जद्दनबाई खुश होते हुए बोलीं- 'माशाअल्लाह क्या बगैर कहा है। दीपक बगैर कैसे परवाने जल रहे हैं... मेरी 'बगैर' सुनकर तबीयत खुश हो गई। ऐसा तलफ्फुज हर किसी का नहीं होता बेटा। तुम निश्चित ही एक रोज बड़ा नाम करोगी।' लता मंगेशकर इस शाबाशी से खुश हो गई थीं। मगर उन्हें डर भी लगने लगा था। 

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इस डर के बारे में लता जी ने अपनी किताब में बताया है, 'बाप रे! इतने बड़े-बड़े लोग मेरे काम को सुनने आ रहे हैं और इतने ध्यान से एक-एक शब्द पर सोचते-विचारते हैं।' बता दें कि आएगा आने वाला...आएगा, लता मंगेशकर का सुपरहिट गाना बना था हालांकि इस गीत के रिकॉर्ड के बाजार में आने से पहले संगीतकार खेमचंद प्रकाश इस दुनिया को अलविदा कह गए थे, जिसका खेद आज भी लता जी को है।


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Content Writer

Priya dhir

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