पहली महिला रेस्क्यू पायलट है प्रिया, बचा चुकी हैं अनगिनत पर्वतारोहियों की जान

punjabkesari.in Monday, Jul 15, 2019 - 05:26 PM (IST)

प्रिया अधिकारी, पहली ऐसी महिला रेस्क्यू हेलीकॉप्टर पायलट हैं, जो पर्वतारोहियों की जान बचाने के लिए आए दिन अपनी जान मुश्किल में डालती हैं। पुरुषों के वर्चस्व वाले संस्थान में प्रिया ने अपने जज्बे का परिचय दिया। पर्वतारोही को बचाने के लिए समुद्र तल से 6,200 मीटर की ऊंचाई पर जाना पड़ता है और हिमालय की चोटियां 8,000 मीटर से अधिक हैं। ऐसे में इतनी ऊंचाई पर जानकर किसी की जान बचाना किसी खतरे से खाली नहीं लेकिन प्रिया किसी भी बात की परवाह ना करते हुए मुसीबत में फंसे लगों की जान बचाती है।

 

पहली महिला रेस्क्यू पायलट है प्रिया

प्रिया का कहना है कि अगर भगवान ने पृथ्वी बनाई तो नेपाल को स्वर्ग बनाया है और उनका हेलिकॉप्टर इसी स्वर्ग के ऊपर उड़ता है। 31 साल की उम्र में प्रिया नेपाल की पहली महिला बन गई है जिन्होंने हेलीकॉप्टर कप्तान के रूप में योग्यता हासिल की।

बचा चुकी हैं अनगिनत लोगों की जान

प्रिया हिमालय पर चढ़ाई करने वाले अनेक लोगों की जान बचा चुकी हैं। उन्होंने माउंट एवरेस्ट से अनगिनत घायल पर्वतारोहियों को बचाया है। उन्होंने बताया कि इस काम के दौरान उन्हें आए दिन एक मुसाबत का सामना करना पड़ता है लेकिन वह घबराती नहीं और अपने काम में बेस्ट देने की कोशिश करती हैं।

आसान नहीं था हौंसलो का सफर

उन्होंने कहा कि महिला होने के कारण उनके लिए पहली चुनौती लोगों की सोच बदलना था। फ्लाइंग एक पुरुष-प्रधान पेशा है। मुझे हमेशा सीनियर्स या अन्य लोगों से सलाह मिली है। नेपाल जैसे रूढ़िवादी देश में महिलाओं को घर पर रहने या आं व्यवसायों में काम करने की ही अनुमति होती है। मैंने जब पहली बार हिमालय की तंग जगहों पर बढ़ना शुरू किया तो लोग उनसे यही पूछते थे कि क्या वो शेरपाओं से भरे तम्बू में ठंडके बीच अकेले रह लेंगी और अगर मौसम खराब हुआ तो?

वह कहती हैं, 'जिस पल मैं हेलीकाप्टर के अंदर बैठी और उसे उड़ाना शुरू किया, मैंने खुद से सिर्फ यही पूछा कि क्या मैं पायलट बन सकती हूं? बस फिर क्या खुद को हौंलसा और हिम्मत देते हुए मैंने अपने सपनों की उड़ान भरी। बता दें कि वह नेपाल ब्यूटी कांटेस्ट में भी हिस्सा ले चुकी हैं।

कैसे बनी रेस्क्यू पायलट?

वह शुरू से पायलट नहीं बनना चाहती थी। इससे पहले वह घायल पर्वतारोहियों को दवाइयां और मेडिकल सुविधाएं पहुंचाने का काम करती थी। उन्होंने 5 साल केबिन क्रू मेडिकल छात्र के तौर पर काम किया है। इस समय उन्हें मृत पर्वतारोही के जमे हुए शरीर को भी निकालना पड़ता था। लेकिन फिर एक फ्री हेलीकॉप्टर राइड के दौरान उन्होंने कप्तान से पूछा कि पायलट कैसे बन सकते है। फिर क्या था वह ट्रेनिंग लेने के लिए फिलीपींस चली गई और 4 महीने के अंदर ट्रेनिंग पूरी करके वापिस लौट आई। अब 7 साल हो गए हैं और वह उसी हेलीकॉप्टर को उड़ा रही हैं, जिसमें उन्हें कभी बतौर यात्री के रूप में सफर किया था।

Content Writer

Anjali Rajput