कस्तूरबा जी ही नहीं, इन 8 महिलाओं के बेहद करीब थे Mahatma Gandhi

punjabkesari.in Friday, Oct 01, 2021 - 04:01 PM (IST)

देश को आजादी दिलाने वाले महात्मा गांधी जी की एक खुली किताब है लेकिन बावजूद इसके बहुत से लोग गांधी जी के बारे में कम बातें ही जानते हैं। अपने विचारों से पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाले गांधी जी कस्तूरबा गांधी के काफी करीब थे। उन्होंने महज 13 साल की उम्र में ही खुद से 1 साल बड़ी कस्तूरबा गांधी से शादी की थी। गांधी जी हर वक्त भीड़ से घिरे रहते थे लेकिन इस भीड़ में कस्तूरबा गांधी का चेहरा भी हर वक्त दिखाई देता था। हालांकि इस भीड़ में कुछ चेेहरे ऐसे भी थे जो न सिर्फ गांधी जी विचारों से प्रभावित थे बल्कि उनके काफी करीब भी थे।

हम आपको यहां कुछ ऐसी ही महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जो मोहनदास करमचंद गांधी के विचारों की वजह से उनके बेहद करीब रहीं। इनके जीवन में गांधी जी के विचारों का इतना गहरा असर पड़ा कि उन्होंने उन्हीं के रास्ते पर चलना शुरु कर दिया। चलिए आपको बताते हैं कुछ ऐसी महिलाओं के बारे में, जिनकी जिंदगी में गांधी का गहरा असर रहा...

सरोजिनी नायडू

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष सरोजनी नायडू व गांधी जी की पहली मुलाकात लंदन में हुई थी। उस मुलाकात के बारे में बताते हुए सरोजिनी ने कहा था, 'एक छोटे कद का आदमी, जिसके सिर पर बाल नहीं थे। जमीन पर कंबल ओढ़े, जैतून तेल से सने हुए टमाटर खा रहा था। दुनिया के मशहूर नेता को यूं देखकर मैं खुशी से हंसने लगी, तभी उन्होंने पूछा, 'आप जरूर मिसेज़ नायडू होंगी। आइए मेरे साथ खाना शेयर कीजिए, तब मैंने शुक्रिया अदा करते हुए कहा, क्या बेकार तरीका है ये।' इस तरह सरोजिनी और गांधी के रिश्ते की शुरुआत हो गई थी। इसके बाद जब गांधी जी गिरफ्तार हुए थे तो सरोजिनी जी ने ही नमक सत्याग्रह की अगुवाई की थी।

मेडेलीन स्लेड उर्फ मीराबेन

मेडेलीन ब्रिटिश एडमिरल सर एडमंड स्लेड की बेटी थी, जो रोमैन रौलेड द्वारा लिखी गई गांधी जी की बायोग्राफी पढ़कर काफी प्रभावित हुई थी। उन्होंने गांधी जी के विचारों से प्रभावित होकर शराब की लत छोड़ खेती सीखना शुरू किया और शाकाहारी भी बन गई। उन्होंने पत्र लिखकर गांधी जी से उनके आश्रम आने की इच्छा भी जाहिर की थी। गांधी जी से मिलने के बाद मेडेलिन का नाम मीराबेन पड़ गया। उसके बाद उन्होंने अपना सारा जीवन गांधी जी के आश्रम में ही गुजारा।

निला क्रैम कुक

खुद को कृष्ण की गोपी मानने वाली निला माउंटआबू में एक धार्मिक गुरु के साथ रहती थीं। गांधी से उनकी बातचीत एक खत के द्वारा शुरू हुई, जिसमें उन्होंने छुआछुत के खिलाफ किए जा रहे कामों के बारे में गांधी को सचेत किया था। इसके बाद दोनों में खतों का सिलसिला शुरू हुआ। इसके बाद गांधी से निला की मुलाकात यरवडा जेल में हुई। गांधी जी ने निला को साबरमती आश्रम भेजा, जहां वह कुछ वक्त बाद खास जुड़ाव महसूस करने लगी। हालांकि उन्हें आश्रम का एकांत माहौल ज्यादा देर रास नहीं आया वो एक दिन वहीं से भाग गईं। इसके बाद में वो एक रोज वृंदावन में मिलीं थी और कुछ वक्त बाद उन्हें अमरीका भेज दिया गया, जहां उन्होंने इस्लाम कबूल लिया।

सरला देवी चौधरानी 

भाषाओं, संगीत व लेखन में रुचि रखने वाली सरला रविंद्रनाथ टैगोर की भतीजी थी। लाहौर यात्रा के दौरान गांधी जी सरला देवी के घर ही रूके थे। गांधी जी सरला को आध्यात्मिक पत्नी बताते थे। गांधी जी और सरला ने मिलकर भारत में खादी का प्रचार भी किया। मगर जब सरला देवी के हक जमाने की आदत के कारण गांधी जी ने उनसे दूरी बना ली थी। कुछ वक्त बाद हिमालय में एकांतवास के दौरान सरला की मौत हो गई।

राजकुमारी अमृत कौर

कपूरथला के राजा सर हरनाम सिंह की बेटी राजकुमारी अमृत कौर गांधी जी की सबसे करीबी सत्याग्राहियों में से एक हैं। 1934 में उनकी गांधी से पहली मुलाकात हुई थी उसके बाद उन्होंने एक- दूसरों के सैकड़ों खत भेजे थे। नमक व 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन  के दौरान वह जेल भी गई थी। इसके बाद आजाद भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री बनने का सौभाग्य राजकुमार अमृत कौर को हासिल हुआ था। गांधी जी राजकुमारी अमृत कौर के लिए लिखने वाले खतों की शुरुआत 'मेरी प्यारी पागल और बागी' लिखकर करते और आखिर में खुद को 'तानाशाह' लिखते थे।

डॉ सुशीला नय्यर

परिवार के विरोध के बाद भी सुशीला व उनके भाई प्यारेलाल गांधी जी के पास जाने से खुद को रोक नही पाए थए। डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद सुशीला महात्मा गांधी की निजी डॉक्टर बनी थी। मनु व आभा के बाद गांधी जी अपने बुढापे में सुशीला के कंधों पर अपने बूढ़े हाथों को रखकर सहारा लेते थे। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कस्तूरबा गांधी के साथ वह भी गिरफ्तार हुई थीय़ कस्तूरबा गांधी के आखिरी दिनों में सुशीला उनके साथ ही रहती थी।

आभा गांधी

बंगाल की रहने वाली आभा गांधी की शादी गांधी जी के परपोते कनु गांधी से हुई थी। आभा गांधी जी की प्रार्थना सभा में भजन गाती थी व कनु फोटोग्राफी करते थे। नाथूराम गोडसे ने जब गांधी जी को गोली मारी थी उस समय आभा वहीं पर मौजूद थी।

मनु गांधी

मनु महात्मा गांधी के दूर की रिश्तेदार थी। गांधी जी उसे अपनी पोती कहते थे। आभा के साथ मनु ही थी जो बापू के बूढ़े शरीर को कंधा देती थी। जिन रास्तों पर महात्मा गांधी जी के विरोधी मल- मूत्र डाल देते थे उन रास्तों पर गांधी जी के साथ मनु व आभा ही झाडू उठाने वाली होती थी।

Content Writer

Anjali Rajput