50 हजार साल पुरानी लोनार झील का बदला रंग, वैज्ञानिक हुए हैरान

punjabkesari.in Friday, Jun 12, 2020 - 04:17 PM (IST)

महाराष्ट्र की लोनार झील अपनी खूबसूरती के काफी मशहूर है। 50 हजार साल पुरानी इस झील को देखने के लिए हर साल कई टूरिस्ट आते हैं। मगर, कल इस झील में कुछ ऐसा हुआ, जिसने वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया।

लोनार झील का बदला रंग

दरअसल, लोनार झील के पानी का रंग रातों-रात बदलकर गुलाबी हो गया है। इसका पानी खारा है और इसका पीएच स्तर 10.5 है। विशेषज्ञ का अनुमान है कि जलाशय में शैवाल है। ऐसे में पानी के रंग बदलने की वजह लवणता और शैवाल हो सकते हैं।

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क्या होता है शैवाल?

शैवाल यानि एल्गे (Algae) पानी का एक पौधा होता है, जिसका तना नहीं होता। लोनार झील में जल का स्तर अभी कम है क्योंकि बारिश नहीं होने से इसमें ताजा पानी नहीं भरा है। जलस्तर कम होने के कारण खारापन बढ़ा होगा और शैवाल की प्रकृति भी बदली होगी। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब झील का रंग बदला हो लेकिन इस बार यह एकदम साफ नजर आ रहा है। फिलहाल एक्सपर्ट इस गुलाबी झील का रहस्य खोजने में लगे हुए हैं।

उल्कापिंड गिरने से बनी है हजारों साल पुरानी यह झील

लोनार झील मुंबई से 500 कि.लो. दूर बुलढाणा जिले में स्थित यह झील करीब 50,000 साल पुरानी है, जो धरती पर एक उल्का पिंड गिरने से बनी है लेकिन उल्का पिंड कहां गया, इसका अभी तक कोई पता नहीं चला। दुनियाभर के वैज्ञानिकों की भी इस झील में बहुत दिलचस्पी है। करीब 1.2 किलोमीटर के व्यास वाली झील के पानी की रंगत बदलने से स्थानीय लोगों के साथ-साथ प्रकृतिविद और वैज्ञानिक भी हैरान हैं।

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वेद पुराणों में भी है झील का जिक्र

बता दें कि 150 मीटर गहरी इस झील का जिक्र पुराणों, वेदों और दंत कथाओं में भी है। नासा से लेकर दुनिया की तमाम एजेंसियां इस पर शोध कर चुकी हैं। यही नहीं, लोनार झील का जिक्र ऋग्वेद और स्कंद पुराण में भी मिलता है।

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अकबर से भी झील का संबंध

इस झील का पद्म पुराण और आईन-ए-अकबरी में भी है। कहा जाता है कि अकबर इस झील का पानी सूप में डालकर पीता था। हालांकि, इसे पहचान ब्रिटिश अधिकारी जेई अलेक्जेंडर ने 1823 में दिलवाई।

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भगवान विष्णु से जुड़ी कहानी

ऐसी कथा भी है कि यहां लोनासुर नाम का एक राक्षस था, जिसका वध भगवान विष्णु ने किया था। उसका रक्त भगतवान के पांव के अंगूठे पर लग गया था, जिसे हटाने के लिए भगवान ने मिट्टी के अंदर अंगूठा रगड़ा और यहां गहरा गड्ढा बन गया।

2006 में सूख गई थी झील

लोनार लेक के पास ही उल्का पिंड टकराने से 2 ओर झील बनी थीं, जो अब गायब हो चुकी हैं। 2006 में यह झील भी सूख गई थी लेकिन बारीश के बाद यह फिर से भर गई। गांव वालों ने पानी की जगह झील में नमक और अन्य खनिजों के छोटे-बड़े चमकते हुए टुकड़े देखे थे।

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Content Writer

Anjali Rajput

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