विरोध के बावजूद भी इंदिरा गांधी बनी थीं PM, कुछ ऐसा था जिदंगी का सफर

punjabkesari.in Saturday, Feb 23, 2019 - 03:42 PM (IST)

इंदिरा गांधी एक ऐसी शख्सियत जिनका जिक्र होते ही सिर सम्मान से झुक जाता है। इंदिरा को एक नेता के तौर पर पसंद-नापसंद करने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि वह प्रभावशाली नेता थी। भारती की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने वाली इंदिरा गांधी आज हर महिला के लिए मिसाल है। आज हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ ऐसी ही बातें बताएंगे, जिसके बारे में शायद ही आपको पता हो।

 

विरोध के बाद बनी थी पीएम

लालबहादुर शास्त्री की अचानक मृत्यु से फिर प्रधानमंत्री के चयन की जिम्मेदारी कांग्रेस अध्यक्ष कामराज के कंधों पर आ पड़ी। कांग्रेस के ज्यादातर नेता नंदा के पक्ष में थे। सभी ने कामराज को सुझाव दिया था कि इंदिरा पर भरोसा नहीं करना चाहिए। इसके बावजूद कामराज ने इंदिरा को ही चुना। वह जनवरी 1966 में भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थी। वह ऐसी महिला नेता थी, जिन्हें आज तक भारत की कोई भी महिला नेता टक्कर नहीं दे पाई। इतना ही नहीं, वह 16 साल तक देश की प्रधानमंत्री रहने वाली भी पहली भारतीय महिला थी।

बचपन से ही थी राजनीति में रुचि

इंदिरा गांधी ने अपने पिता जी के कार्यकाल में ही राजनीति में रुचि रखना शुरु कर दिया था। अपने पिता की तरह एक निडर नेता और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी इंदिरा गांधी का नाम आज भी इतिहास के पन्नों में ही नहीं बल्कि बच्चों की स्कूल बुक में भी पढ़ने के लिए मिलता है।

 

एवरेज स्टूडेंट थी इंदिरा गांधी

उनके पिता राजनीति में बिजी रहते थे तो कमला नेहरु की तबीयत ठीक नहीं रहती थी। इसके कारण उनकी पढ़ाई के सारे इंतजाम घर पर ही करवाए गए लेकिन घर के माहौल के कारण वह इंग्लिश के अलावा और कोई सब्जेक्ट अच्छे से नहीं पढ़ पाईं। इसके बाद उन्हें 'शांति निकेतन' के ‘विश्व-भारती’ में पढ़ने के लिए भेजा गया। उसके बाद इंदिरा ने लन्दन के बैडमिंटन स्कूल और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की। बावजूद इसके उनकी पढ़ाई बहुत अच्छी नहीं रही और उन्हें एक एवरेज स्टूडेंट की तरह ही देखा गया।

 

डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित

इंदिरा को दुनिया के बेस्ट विश्वविद्यालयों द्वारा डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया गया था। उन्हें कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा प्रभावशाली शिक्षा बैकग्राउंड के कारण खास योग्यता प्रमाण दिया गया।

बच्चों के सहयोग से वानर सेना का निर्माण 

उन्होंने बचपन में 'बाल चरखा संघ' की स्थापना की थी। इसके अलावा 13 साल की उम्र में कांग्रेस पार्टी के लिए 1930 में बच्चों के सहयोग से 'वानर सेना' का निर्माण किया।

 

1972 में मिला भारत रत्न पुरस्कार

उन्होंने इलाहाबाद में कमला नेहरू विद्यालय की स्थापना की थी। इसके अलावा भी उन्होंने अपने जीवन में कई उपलब्धियां प्राप्त की। 1972 में उन्हें भारत रत्न पुरस्कार दिया गया था। इसके अलावा भी उन्हें कई और सम्मान भी मिले।

 

आयरन लेडी दिया गया नाम

भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनकी बहादुरी के लिए आयरन लेडी नाम दिया गया। पंजाब से आतंकवाद का सफाया करने के लिए उन्होंने 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' को अंजाम दिया, जिसमें उन्होंने भिंडरावाला और उसके समर्थकों को मार गिराया था। मगर इसके कुछ महीनों बाद ही 31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा के सुरक्षा गार्ड ने उन्हें गोली मारकर हत्या कर दी थी।

 

परिवार के खिलाफ जाकर की शादी

जवाहरलाल नेहरू को इंदिरा और फिरोज के रिश्ते से एतराज था लेकिन उन्होंने नेहरू के खिलाफ जाकर साल 1942 में फिरोज से शादी कर ली थी। शादी के बाद इंदिरा ने अपना नाम 'मैमुना बेगम' रख लिया। धर्म परिवर्तन से पिता के राजनीतिक करियर को खतरा था। तब नेहरू ने फिरोज से गुजारिश की वो अपना सरनेम बदलकर गांधी रख लें।

Content Writer

Anjali Rajput