Diwali Special: जानें, कैसे हुई दीपावली पर पटाखे जलाने की शुरूआत?

punjabkesari.in Thursday, Nov 12, 2020 - 11:40 AM (IST)

दीवाली का त्यौहार लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन लोग दीप जलाने के साथ घर में अलग-अलग मिठाईयां बनाते हैं। वहीं कुछ लोग दीवाली पर हर साल इतनी संख्‍या में पटाखे फोड़ते हैं कि पूरा वातावरण ही दूषित हो जाता है। मगर क्या आपने कभी सोचा है कि दीपावली के अवसर पर पटाखे जलाने की शुरूआत कैसे हुई? चलिए जानते हैं दीवाली पर पटाखे का आइडिया कहां से आया।

कहां से हुई पटाखे जलाने की शुरुआत?

मुगलों के समय में सिर्फ दीए जलाकर की दीपावली का पर्व सेलिब्रेट किया जाता था। हालांकि, उस समय गुजरात के कुछ छोटे इलाकों में दीपावली पर पटाखे जलाने की शुरूआत हो चुकी थी। मगर औरंगजेब ने दीवाली पर दीयों और पटाखों के प्रयोग पर सार्वजनिक रूप से पाबंदी लगा दी थी। फिर अंग्रेजों ने एक्‍स्‍प्‍लोसिव एक्‍ट पारित किया, जिसके तहत पटाखों जलाने, बेचने और पटाखे बनाने पर पाबंदी लगा दी गई।

अय्या नादर और शंमुगा नादर ने की शुरुआत

साल 1923 में अय्या नादर और शनमुगा नादर ने इस दिशा में पहला कदम बढ़ाया। काम की तलाश में दोनों कलकत्ता गए और वहां दोनों ने माचिस की एक फैक्‍ट्री में काम शुरु किया। यहां काम करने के बाद दोनों अपने घर शिवकाशी लौट आए, जहां उन्‍होंने माचिस की फैक्‍ट्री लगाई। आपको बता दें कि शिवकाशी शहर तमिलनाडु में स्थित है।

1940 में लगाई पटाखों की पहली फैक्ट्री

सन् 1940 में सरकार द्वारा एस्‍क्‍प्‍लोसिव एक्‍ट में संशोधन किया गया। इसमें एक खास स्‍तर के पटाखों पर से प्रतिबंध हटा दिया गया, जिसका फायदा उठाते हुए नादर ब्रदर्स ने 1940 में पटाखों की पहली फैक्‍ट्री लगाई। इस तरह शिवकाशी से पटाखों की फैक्‍ट्री की शुरुआत हुई और इसके मालिकों ने पटाखों को दीवाली से जोड़ दिया। आज के समय में शिवकाशी में पटाखों की 189 फैक्ट्रियां मौजूद है।

Content Writer

Anjali Rajput