अनकही बातें: क्या सचमुच जरूरी है 'आज की नारी' के लिए शादी?

punjabkesari.in Saturday, Aug 10, 2019 - 03:33 PM (IST)

माता-पिता चाहते यही हैं कि उनकी बेटी शादी करके जल्दी सैटल हो जाए और उनका बोझ हल्का हो जाए। मगर आजकल की लड़कियां शादी से ज्यादा अपने करियर को महत्व दे रही हैं। इस बात को लेकर कई बार उनके और माता-पिता के बीच लड़ाई भी हो जाती है लेकिन लेकिन सोचने वाली बात यह है कि क्या सचमुच शादी इतनी जरूरी है?

 

क्या सचमुच जरूरी है शादी?

दरअसल, हमारे समाज में शादी कर घर बसाने की जिम्मदारी को जरूरत के रूप में देखा जाता है, खासकर लड़कियों के लिए। यही कारण है कि जो लड़कियां 25-30 तक शादी नहीं करती उन्हें अजीब रिएक्शन दिए जाते हैं। वहीं कुछ लोग तो शादी ना करने वाली लड़कियों को ताने तक देना शुरू कर देते हैं। मगर देखा जाए तो आज के समय में शादी उतना जरूरी नहीं है, जितने पहले था। आज लड़कियां अपने पैरों पर खड़ी हैं और खुद अपना ख्याल रख सकती हैं। आज की नारी को किसी के सहारे की जरूरत नहीं है।

फाइनेंशियल सपोर्ट की नहीं जरूरत

पहले के समय में औरतें फाइनेंशियली अपने माता-पिता या पति पर निर्भर रहती थी जबकि आज के समय में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आज लड़कियां काफी ऊंचे पदों पर काम करती हैं और उन्हें उनकी काबिलियत का कीमत भी अच्छी मिलती है। आज की नारी आर्थिक रूप से किसी पर निर्भर नहीं है। यह भी एक वजह है कि आज की लड़कियों के लिए शादी इतना जरूरी मुद्दा नहीं रह गया है।

अकेले रहना और अकेलेपन में होता है फर्क

अकेले होने और अकेलेपन में बहुत फर्क है। बहुत से महिलाएं ऐसी हैं, जो शादीशुदा होने के बाद भी अकेलापन महसूस करती हैं। इनमें ज्यादातर घरेलू महिलाएं शामिल होती है, जिनके पति देर रात काम करते हैं और घर पर ध्यान नहीं देते। ऐसी महिलाओं की जिंदगी घर के कामों में निकल तो जाती है लेकिन अंदर अकेलापन भरा होता है। जबकि शादी न होने के बावजूद अच्छा करियर आपको ना सिर्फ संतुष्टि व आत्मसम्मान देता है बल्कि इससे आप अपनी इच्छा से फैसले भी ले पाती हैं।

मेंटल और साइकोलॉजिकल हैप्पीनेस का असली मतलब

अगर कोई लड़की शादी के बजाए करियर या किसी और चीज में अपनी खुशी ढूंढती हैं तो उसे रोक दिया जाता है। उसे समाज व परिवार का डर दिखाकर एक ऐसे बंधन में बांध दिया जाता है, जिससे वह जिंदगी भर अंदर ही अंदर घुटती है। मगर हर किसी के लिए खुशी का मतलब अलग होता है इसलिए लड़कियों को अपनी मर्जी के रिश्ते में बांधने की बजाए खुले आसमान में उड़ने दें।

शारीरिक जरूरत से परे है लक्ष्य

आज के समय में लिव इन या ब्वॉयफ्रेंड रखना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन जिन लड़कियों का लक्ष्य ऊंचा मुकाम हासिल करना होता है उनके लिए सफलता हासिल करना ज्यादा मायने रखता हैं। उन्हें नाम की भूख ज्यादा होती है इसलिए लड़कियों को अपनी जरूरत के हिसाब से जिंदगी जीने दें।

परिवार और बच्चों के असली मायने

आज के समय में कई ऐसी महिलाएं है, जो बच्चे को गोद लेकर अपनी जिंदगी खुशा से बिता रही हैं। लखनऊ की रहने वाली आरजे वीरा ने भी शादी नहीं की लेकिन वह एक बेटी मां जरूर बन गई। दरअसल, उन्होंने 'चाइल्ड एडॉप्शन सेंटर' से एक लड़की को गोद लिया है। बच्ची नार्मल नहीं थी इसलिए उसके माता-पिता ने उसे सड़क पर मरने के लिए छोड़ दिया। हालांकि वह बच्ची आज बिल्कुल स्वस्थ और नार्मल है, जोकि वीरा की मेहनत और ममता का नतीजा है। वीरा बताती हैं कि उन्होंने इसलिए शादी नहीं की क्योंकि वो दहेज के सख्त खिलाफ हैं।

जाहिर है, जिन लड़कियों का मकसद शादी से परे होता है, वो अक्सर ऐसे ही समाजिक या ऑफिस के कामों में इन्वोल्व हो जाती हैं। इन्हें खुद का परिवार बसाने से ज्यादा संतुष्टि दूसरों का भला करने में मिलती हैं। उन के पास समय भी होता है और साधन भी, जिन्हे वो जनकल्याण के कामों में लगाकर ना सिर्फ अपनी पहचान बनाती है बल्कि दूसरों के लिए मसाल भी बनती है। खैर, हम तो यही कहना चाहेंगे कि आजकल की लड़कियों के फैसले का सम्मान करें और उनका साथ दें, तानें नहीं।

Content Writer

Anjali Rajput