धरती पर मंडराता एक और खतरा, पानी में डूब जाएगी पृथ्वी , चिंता में वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

punjabkesari.in Monday, May 24, 2021 - 05:14 PM (IST)

पहले कोरोना, फिर ब्लैक व व्हाइट फंगस... मानें प्राकृति मानव जाति से नाराज हो गई है। वहीं, हाल ही में तौकते तूफान के बीच अंटार्कटिका से एक विशान बर्फ का पहाड़ टूटकर अलग हो गया। यह दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड था जिसका आकार करीब 170 कि.मी. लंबा व 25 कि.मी. चौड़ा है। सैटलाइट द्वारा ली गई तस्वीरों ने वैज्ञानिकों को भी चिंता में डाल दिया है।

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बता दें कि यह हिमखंड अंटाकर्टिका के पश्चिमी हिस्‍से में स्थित रोन्‍ने आइस सेल्‍फ से टूटा है। यह हिमखंड 4 हजार 320 वर्ग मीटर में फैला हुआ है, जो दिल्ली से भी 3 गुणा बड़ा है। यही नहीं, बर्फ का यह पहाड़ अमेरिका के न्यूयॉर्क से भी बहुत बड़ा है।

ए-76 दिया गया नाम

वैज्ञानिकों ने इसे A-76 का नाम दिया है। इसके टूटने का कारण इंसानों द्वारा प्राकृति के साथ छेड़छाड़ बताया जा रहा है। लगातार बदल रहे पार्यावरण के कारण हिमखंड टूट गया और अब वेड्डेल समुद्र में स्‍वतंत्र होकर तैर रहा है। वैज्ञानिकों की चिंता इसलिए भी बढ़ी हुई है क्योंकि धरती के हिस्से में समुद्री जल का तापमान बढ़ता जा रहा है। इससे अंटाकर्टिका के पश्चिमी हिस्सा सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।

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200 फीट बढ़ सकता है समुद्री जलस्‍तर

डाटा के मुताबिक, हिमखंड टूटने से समुद्र में जलस्‍तर सीधे नहीं बल्कि अप्रत्‍यक्ष रूप से जलस्‍तर बढ़ सकता है। यही नहीं, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अंटार्कटिका धरती के दूसरें हिस्‍सों की तुलना में ज्‍यादा तेजी से गर्म हो रहा है। अंटार्कटिका में बर्फ के रूप में इतना पानी जमा है, जिसके पिघलने पर दुनियाभर में समुद्र का जलस्‍तर 200 फुट तक बढ़ सकता है।

प्राकृतिक कारणों से टूटा

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह हिमखंड जलवायु परिवर्तन नहीं बल्कि प्राकृतिक कारणों से टूटकर अलग हुआ है। जबकि कुछ वैज्ञानिक मान रहे हैं कि ए-76 और ए-74 दोनों अपनी अवधि पूरी करने के बाद टूटे हैं।

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Content Writer

Anjali Rajput

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