इस तरह दूर करें अपनी कमजोरियां

punjabkesari.in Friday, Mar 17, 2017 - 03:24 PM (IST)

लाइफस्टाइलः कई बार हम बिना सोचे-समझे दूसरों की आलोचना कर देते हैं लेकिन ऐसा करते हुए हम यह नहीं सोचते कि इसका परिणाम क्या होगा। दूसरों की आलोचना पर ध्यान देने या उनकी कमियां निकालने में समय गंवाने की अपेक्षा हमें खुद को सशक्त बनाने पर ध्यान देना चाहिए, अपने आप को कमजोर या हीन समझने अपेक्षा यह देखें कि आखिर वह कौन-सी खासियत है, जो आपके भीतर है तथा जिसे आगे बढ़ा कर आप कामयाबी के शिखर की तरफ बढ़ सकती हैं। ऐसा कभी भी ना सोचें कि आपके भीतर कोई हुनर नहीं है।

यदि आपको लगता है कि आप में सच में ऐसी कोई अच्छाई नहीं है, तो कुछ दिन पूरी एकाग्रता के साथ आत्म मंथन करें, अपनी रुचियों, आदतों, व्यवहार, बातचीत, प्रतिक्रिया आदि पर ध्यान दें, तो आपको जरूर पता चल जाएगा कि आप में कौन सी अच्छाई है। आप चाहें तो घर के किसी सदस्य, अध्यापक या फिर काउंसलर की मदद से खुद की ताकत को जान एवं समझ सकती हैं। 

 
हार से ना घबराएं 
यदि आप कभी किसी परीक्षा या टेस्ट में फेल हो जाती हैं या किसी टीम का हिस्सा होते हुए भी बेहतर प्रफॉर्म नहीं कर पाती हैं, तो हताश ना हों, बल्कि अपना धैर्य बनाए रखें। यह सोचें कि आखिर आपकी असफलता का कारण क्या रहा या आप कहां चूक गईं, अपनी हार या असफलता में छिपे कारणों को ढूंढें। जब तक आप उन कारणों को ढूंढकर उन्हें दूर करने का प्रयत्न नहीं करेंगी, कामयाबी तब तक आपसे दूर ही रहेगी। यदि आप खुद को विजेता के रूप में देखता चाहती हैं, तो अपनी कमियों और कमजोरियों को ढूंढ कर उन्हें दूर करने का प्रयास करें। दुनिया में ऐसे बहुत कम कामयाब लोग होंगे, जिन्होंने कभी असफलता का स्वाद नहीं चखा होगा। अपनी बार-बार की असफलता से एक दिन वह कामयाबी के ऐसे शिखिर पर पहुंच गए, जहां दुनिया ने उन्हें सलाम किया। यदि आप भी किसी परीक्षा या प्रतियोगिता में असफल हो जाती हैं, तो इसे जिंदगी का अंतिम इम्तेहान मानने की अपेक्षा अपनी कमियों को दूर कर दोगुने उत्साह के साथ प्रयास करें।

आत्म मुग्धता छोड़ें
अक्सर यह भी देखने में आता है कि छोटी-छोटी सफलताएं पा कर हम आत्म मुग्ध हो जाते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि बड़े लक्ष्य को पाने के लिए किए जाने वाले हमारे प्रयास शिथिल पडऩे लगते हैं। कई बार हम खुद को बेहद काबिल मान कर यह सोच लेते हैं कि हमें सफलता तो मिल ही जाएगी, परंतु जब ऐसा नहीं होता और असफलता हाथ लगती है, तो हमें शॉक लगता है। तब हमें एहसास होता है कि काश दूसरों की तारीफों के कारण हम आत्म मुग्धता के शिकार न हुए होते।


साकारात्मकता का साथ
आप चाहे पढ़ाई कर रही हों या नौकरी, अपनी सोच को हर समय साकारात्मक बनाए रखें। परिस्थितियां चाहे कैसी भी हों, भले ही कितना ही संघर्ष करना पड़े साकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ेंगी, तो इसके अच्छे परिणाम भी जरूर दिखेंगे। किसी के बारे में बुरा सोचने या उसकी निंदा करने की अपेक्षा अच्छा सोचें और अच्छा करें। अपने काम में नित नई पहल करते हुए जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ेंगी, तो सफलता भी मिलेगी और नई पहचान भी बनेगी।


हेमा शर्मा, चंडीगढ़

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