ऐसा देश जहां मिलेंगे आपको Mother's Milk के अनोखे बैंक, नवजात को देते हैं नया जीवन

punjabkesari.in Tuesday, May 05, 2020 - 10:21 AM (IST)

मां का दूध नवजात बच्चे के लिए कितना जरूरी है, यह बात तो हर कोई जानता है। 6 माह से 1 साल  के बच्चे को मां के दूध के जरिए ही जरूरी पोषक तत्व मिल पाते हैं। इसी जरूरत को देखते हुए जर्मनी में मां के दूध का बैक है। जी हां यहां 'मदर्स मिल्क बैंक' 100 सालों से मौजूद है, जो नवजात बच्चों में मां के दूध की जरूरत को पूरा करते हैं। यहां नई बनी मां अपना अतिरिक्त दूध, उन नवजात शिशु के लिए दान कर सकती हैं, जिन्हें विभिन्न कारणों से अपनी मां का दूध नहीं मिल पाता। दान में मिले मां के दूध को स्टोर करने वाले केन्द्रों को कुछ देशों में 'ह्यूमन मिल्क बैंक', कुछ में 'मदर्स मिल्क बैंक' तो कहीं 'ब्रैस्ट मिल्क बैंक' कहा जाता है।

 

जर्मनी में मौजूद है 23 'मदर्स मिल्क बैंक'

जर्मनी में इस तरह के केन्द्रों को सहेजने का विचार 100 साल पुराना है लेकिन हाल के सालों में इनके प्रति जागरूकता तथा लोकप्रियता अधिक बढ़ी है। साल 2016 में जर्मनी में 15 ऐसे बैंक थे जिनकी संख्या अब 23 हो चुकी है। कुछ अन्य की स्थापना की योजना बनाई जा रही है।

PunjabKesari

प्रीमैच्योर शिशुओं को पिलाया जाता है दूध

नवजात बच्चों के उपचार की विशेषज्ञ तथा 'मैगदेबर्ग ब्रैस्ट मिल्क बैंक' के डायरैक्टर रॉल्फ बोएटगर अधिक मिल्क बैंक के लिए शुरू की गई एक राष्ट्रव्यापी पहल के सह-संथापक हैं, जिसने पिछले साल से अपना काम शुरू किया है। वह कहते हैं, 'हम जर्मनी के सभी 16 राज्यों में अगरे 5 सालों में कम से कम ऐसा एक बैंक स्थापित करने के लिए अभियान चला रहे हैं, जहां से सभी 'प्रीमैच्योर' शिशुओं यानि वक्त से पहले जन्म लेने वाले बच्चों को मां का दूध उपलब्ध हो सके।

बच्चों को बीमारियों से बचाता है ब्रैस्ट मिल्क

मां का दूध 'प्रीमैच्योर' तथा नवजात शिशुों के लिए सबसे प्रौष्टिक आहार है। फार्मूला मिल्क में भी बहुत सी चीजें होती हैं लेकिन वह मां के दूध के हर गुण की नकल नहीं कर सकता। यह रोगों से लड़ने की बच्चें की इम्यून सिस्टम के विकास में खास मदद करता है और इंफैक्शन से भी उन्हें बचाता है। जिन 'प्रीमैच्योर' बच्चों को मां का दूध दिया जाता है, उन्हें बीमारियां कम होती हैं। कुछ मांएं हैं, जिनके बहुत अधिक दूध उतरता है और ऐसी मांएं भी हैं, जिनके दूध नहीं बनता या कई कारणों से वे अपने बच्चों को दूध पिला नहीं पाती हैं। जो 'प्रीमैच्योर' शिशु दूध पीने में असमर्थ होते हैं, उन्हें इसे ट्यूब के माध्यम से दिया जाता है।

PunjabKesari

80 माताओं दान कर चुकी हैं 1,230 लीटर दूध

2014 में 'मैगदेबर्ग ब्रैस्ट मिल्क बैंक' को दोबारा खोले जाने के बाद से वहां 300 नवजात बच्चों को मां का दूध उपलब्ध करवाया जा चुका है। अब तक इस मिल्क बैंक में कुछ मिलाकर 80 दानी माताओं से 1,230 लीटर दूध प्राप्त हुआ है।

रक्तदान की तरह होती है पूरी जांच

रक्तदान की तरह ही मां का दूध दान करने के लिए भी मापदंड तय है। दानी महिला को स्वस्थ होना चाहिए और उन्हें किसी तरह की बुरी लत नहीं होनी चाहिए। उनका ब्लड टैस्ट भी किया जाता है। कीटाणुओं के लिए भी दूध की जांच की जाती है।

PunjabKesari

100 साल पुराना है यह मिल्क बैंक

वैसे जर्मनी के मैगदेबर्ग मिल्क बैंक का इतिहास 19 मई, 1919 तक जाता है जब जर्मनी के पहले मदर्स मिल्क को जमा करने वाले केन्द्र के रूप में यह खुला था। इसकी शुरूआत तब हुई जब बाल रोज विशेषज्ञ मेरी एलीस काइसर मां बनीं। उनके अधिक दूध उतर रहा था और उन्हें इसके महत्व का भी अच्छे से अहसास था। उन्हें इस केन्द्र में उसे जमा करना शुरू किया। यह खबर फैल गई और अन्य माताओं ने भी अपनी अतिरिक्त दूध उनके क्लीनिक में लाना शुरू कर दिया। कुछ सल बाद अन्य शहरों में भी ऐसे मिल्क बैंकों की स्थापना होने लगी।

भारत में बहुत कम है मिल्क बैंक

भारत की बात करें तो यहां भी कुछ सालों से ह्यूमन मिल्क बैंकों की स्थापना की पहल शुरू की गई है लेकिन अभी भी देश के कुछ प्रमुख शहरों तक ही सीमित है। यहां इनकी स्थापना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि हर साल विश्व में सबसे अधिक 'प्रीमैच्योर' शिशुओं के जन्म वाले देशों में से भारत एक है।

PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anjali Rajput

Recommended News

Related News

static