अक्षय तृतीया 2020: द्रौपदी व अक्षय तृतीया का है गहरा कनैक्शन, जानिए कहानी

punjabkesari.in Sunday, Apr 26, 2020 - 01:28 PM (IST)

हर साल 26 अप्रैल के दिन अक्षय तृतीया का त्यौहार मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्त होती है। वहीं महाभारत में भी अक्षय तृतीया की तिथि का जिक्र है। दरअसल, अक्षय तृतीया व द्रौपदी के बीच गहरा संबंध है। चलिए आपको बताते हैं द्रौपदी व अक्षय तृतीया जुड़ी कहानी...

क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्‍णु के छठें अवतार भगवान परशुराम का जन्‍म हुआ था। परशुराम महर्षि जमदाग्नि और माता रेनुकादेवी के पुत्र थे। यही वजह है किनअक्षय तृतीया के शुभ दिन भगवान विष्‍णु की उपासना के साथ परशुराम जी की भी पूजा करने का विधान बताया गया है।

द्रोपदी व अक्षय तृतीया की कहानी

धार्मिक शास्त्रों व पुराणों के मुताबिक, इस दिन त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। महाभारत गाथा के अनुसार, जब पांडवों को 13 सालों के लिए अज्ञातवास मिला तो उस दौरान एक बार ऋषि दुर्वासा उनकी कुटिया में आए थे।

तब सभी पांडवों व द्रौपदी ने घर में जो कुछ रखा था, उनसे उनका अतिथि सत्कार किया। ऋषि दुर्वासा द्रौपदी के अतिथि सत्कार से बहुत प्रसन्न हुए और द्रौपदी को उपहार में अक्षय पात्र दिया। महाभारत में बताया गया है कि इसी दिन ऋषि दुर्वासा ने द्रौपदी को अक्षय पात्र दिया था।

इसके साथ ही ऋषि दुर्वासा ने कहा कि जो भी इस दिन भक्तिभाव से भगवान विष्णु की पूजा करेगा और गरीबों को दान देगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होगी। उसी दिन से भगवान विष्णु को नैवेद्य में जौ या गेहूं का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पित की जाती है।

अक्षय तृतीया का मुहूर्तः

तृतीया तिथि प्रारंभ: 11:50 बजे (25 अप्रैल 2020)
तृतीया तिथि समापन: 13:21 बजे (26 अप्रैल 2020)

इस बार लॉकडाउन के चलते आप घर से बाहर नहीं जा सकते लेकिन घर पर रहकर भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं। इसके साथ ही इस समय गरीबों व भूखों को भोजन जरूर करवाएं या अन्नदान करें।

Content Writer

Anjali Rajput