छठ पर्व स्पैशलः छठ पूजा कैसे करें? यहां पढ़िए मैया की व्रत कथा

punjabkesari.in Tuesday, Nov 17, 2020 - 03:50 PM (IST)

नवरात्रि, दुर्गा पूजा की तरह हिंदू धर्म में छठ पूजा को भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। हालांकि बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश और नेपाल का मधेश क्षेत्र में यह प्रमुख तौर पर मनाया जाता है। महिलाएं इच्छापूर्ति के साथ संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत रखती हैं। कहते हैं कथा सुने बिना व्रत पूरा नहीं होता। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं छठ मैया की व्रत कथा।

यहां पढ़िए छठ मैया की व्रत कथा

प्रियव्रत राजा और उनकी पत्नी मालिनी की कोई संतान नहीं थी, जिससे वह काफी दुखी रहते थे। एक दिन उन्होंने महर्षि कश्यप से पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। यज्ञ के फलस्वरूप रानी गर्भवती हो गईं लेकिन 9 महीने बाद उन्हें मरा हुआ पुत्र प्राप्त हुआ। संतान के शोक में राजा ने आत्महत्या का मन बना लिया लेकिन तभी उनके सामने एक सुंदर देवी प्रकट हुईं।

देवी ने राजा को कहा कि मैं षष्ठी देवी हूं। जो सच्चे भाव से मेरी पूजा करता है मैं उन्हें पुत्र सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हूं। देवी की बातें सुन राजा उनकी पत्नी ने कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि पर पूरे विधि-विधान से देवी का व्रत किया। व्रत व पूजा के फलस्वरूप रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया। उस दिन से छठ पर्व मनाया जाने लगा।

द्रौपदी ने रखा व्रत, पांडवों को मिला राजपाट

एक अन्य कथा के अनुसार, जब जुए में पांडव अपना सारा राजपाट हार गए थे तब द्रौपदी ने उनकी विजय के लिए छठ व्रत रखा था। द्रौपदी की सच्ची निष्ठा से पांडवो को उनका राजपाट वापिस मिल गया था।

छठ पूजा की सामग्री:

3 तीन बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, जिसमें आप प्रसाद रख सकें। इसके अलावा थाली, लोटा, दूध, नए कपड़े, चावल, सिंदूर, धूप और दीया, नारियल पानी, पत्ते वाले गन्ने, सुथनी, शकरकंदी, हल्दी, अदरक, मीठा नींबू, फल,शहद, पान, सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन, मिठाई।

प्रसाद: व्रत के लिए आप मालपुआ, सूजी का हलवा, खीर-पूड़ी, खजूर, ठेकुआ या चावल के लड्डू बना सकते हैं।

छठ पूजा की विधिः

1. सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनकर प्रसाद व पूजन सामग्री लेकर घाट पर जाएं।
2. घाट पर ईख का घर बनाकर दीया जलाए। इसके बाद घाट में स्नान करते हुए ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दें।
3. फिर घर जाकर सूर्य देवता का ध्यान करें और रातभर माता का ध्यान करें।
4. सप्तमी यानी व्रत के चौथे दिन सूर्योदय से पहले घाट पर जाकर पकवानों की टोकरियां, नारियल और फल रखें।
5. इसके बाद उगते हुए सूर्य को जल दें और फिर छठी की कथा सुनकर प्रसाद बांटे।
6. आखिर में महिलाएं प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोल लें।

Content Writer

Anjali Rajput