हम घर से निकलने के लिए लड़ रहे हैं और असम बाढ़ ने हजारों घर उजाड़ दिए

punjabkesari.in Wednesday, Jul 22, 2020 - 03:30 PM (IST)

कोरोना वायरस के कारण लोगों को घर के अंदर रहने की हिदायत दी जा रही है। लॉकडाउन खत्म होने के बावजूद भी कई लोग बाहर घूमने के लिए मानो तरस गए हो। एक तरफ लोग कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं तो दूसरी तरफ बाढ़ एक ओर त्रासदी बनकर आई है। जी हां, बारिश के कारण असम और बिहार में आई बाढ़ ने हजारों लोगों को बेघर कर दिया है।

असम बाढ़ ने छिनी छत

एक बार फिर बाढ़ की वजह से ना सिर्फ हजारों लोगों की छत छिन गई है बल्कि इसके कारण कई लोगों को अपनी जान भी गवांनी पड़ी। वहीं बाढ़ ने किसानों की फसलों को भी बर्बाद कर दिया। यही नहीं, काजीरंगा जैसे उद्यान में हजारों जानवरों के लिए भी मुसीबत खड़ी हो गई है। ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियां जिया, भराली, गाय और कोपीली खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।

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भूस्खलन ने भी उजाड़े हजारों घर

बाढ़ के अलावा भूस्खलन ने भी लोगों के घर उजाड़ दिए। इसके कारण हजारों लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ा। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बाढ़ ने 28 जिले अपनी चपेट में ले लिए हैं और 26 लाख लोगों का जीवन तहस-नहस कर दिया। 3181 गांव पानी में डूब चुके हैं और 100 से ज्यादा लोग अपनी जान गवां चुके हैं। बाढ़ के कारण लोग भीड़ में अपना नया आशियाना ढूंढने निकलना पड़ रहा है।

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1,03,806 हेक्टेयर फसले बर्बाद

गांव के लोगों का कहना है कि सरकार के लोग बाढ़ के दौरान उन्हें सिर्फ चावल, आटा और नमक पहुंचा देते हैं। इसके बाद वो लोगों की खबर तक नहीं लेते। पक्के मकान भी बाढ़ के पानी के साथ बह गए। हर साल गांवों में बाढ़ के कारण ऐसी ही तबाही देखने को मिलती है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक, बाढ़ के कारण गांव के 3 हजार घर और 1,03,806 हेक्टेयर फसले बर्बाद हो चुकी हैं। अब लोगों के पास ना सिर पर छत है और ना पेट भरने के लिए अनाज।

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जानवरों पर भी मुसीबत

सिर्फ इंसानों को ही नहीं बल्कि बाढ़ के कारण जानवरों को भी काफी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के आंकड़ों के मुताबिक, 223 शिविरों तक बाढ़ का पानी पहुंच गया है, जिसके कारण कई जंगली जानवरों की मौत हो चुकी है। वहीं कुछ जानवर तो अभी बाढ़ में फंसे हुए हैं।

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गांव में रहने वाले लोग जिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं, हम लोग उसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते।  यह सिर्फ सरकारी आंकड़ा है, जो बाढ़ की स्थिति ठमने के बाद ओर भी बढ़ सकता है। हकीकत इससे भी भयानक हो सकती है। यह ऐसा वक्त है जब हम लोगों को मदद के लिए आगे आना चाहिए। तो सोचिए मत, बाढ़ में फंसे लोगों की मदद कीजिए।


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Content Writer

Anjali Rajput

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