लाजवाब! कला के साथ रोजगार, खजूर के पत्तों से दिव्यांग अनिल ने बनाई राखियां

punjabkesari.in Sunday, Aug 02, 2020 - 04:26 PM (IST)

कोरोना वायरस महामारी ने कई लोगों का आजीविका को तहस-नहस कर दिया है। इसी बीच भारत में त्यौहारों का सीजन शुरू हो चुका है। लोग आजीविका के नए अवसर की तलाश कर रहे हैं जबकि एक दिव्यांग अनिल ने त्यौहारों को ही अपना रोजगार बना डाला।

 

खजूर से राखियां बना रहा यह शख्स

दरअसल, रक्षाबंधन को देखते हुए छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के रहने वाले अनिल इको फ्रेंडली राखियां बनाने में जुटे हुए हैं। अपनी आजीविका के लिए वह खजूर के पत्तों का इस्तेमाल कर राखियां तैयार कर रहे हैं। न्यूज एजेंसी को इंटरव्यू देते हुए अनिल ने बताया कि खजूर से राखियां बनाने के लिए उन्हें आधा घंटा लग जाता है।

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कलेक्टर दीपक ने उठाई राखी मार्केट पहुंचाने की जिम्मेदारी

राखियां मार्केट तक पहुंचाने के लिए उन्होंने प्रशासन से गुहार लगाई हैं। इसके बाद से ही उनकी राखियां बाजार तक पहुंचाने का जिम्मा दंतेवाड़ा के कलेक्टर दीपक सोनी ने अपने सिर ले लिया। यही नहीं, वह सोशल मीडिया के जरिए भी अनिल द्वारा बनाई गई राखियों का प्रचार कर रहे हैं। यही नहीं, उन्होंने उनके द्वारा बनाई गई राखियों को रायपुर भी भेजा है।

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दूसरे लोगों को भी सिखा रहे राखी बनाना

अनिल बचपन से ही एक कान से सुन नहीं सकते लेकिन आज अपने हुनर से वह दूसरों लोगों को भी राखी बनाना सिखा रहे हैं। उनके द्वारा बनाई गई यह राखियां सोशल मीडिया पर खूब ट्रेंड कर रही है और हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है।

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अनिल की इको-फ्रेंडली राखी सिर्फ उन्हें रोजगार नहीं दे रही बल्कि यह देश को प्लास्टिक मुक्ति बनाने की भी एक अनोखी पहल है, जिसमें हम सभी को सहयोग देना चाहिए।


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Content Writer

Anjali Rajput

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