अजब-गजब: यहां सैकड़ों साल पहले रहते थे सिर्फ बौने, अब ऐसी हो चुकी हालत!

punjabkesari.in Monday, Jun 22, 2020 - 05:42 PM (IST)

बौने से जुड़े किस्से कहानियां तो आपने अक्सर अपने दादा-दादी या नाना-नानी से सुनें होंगे। मगर, आज हम आपको एक ऐसे रहस्यमय गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां सिर्फ बौने ही रहा करते थे। जी हां, हम बात कर रहे हैं ईरान के ऐसे गांव की, जहां सचमुच के बौने रहते थे। चलिए आपको रूबरू करवाते हैं, बौने के इस अजीबो-गरीब गांव से...

50 सेंटीमीटर है बौनों की लंबाई

अफगानिस्तान की सीमा से करीब 75 कि.मी. दूर स्थित  ईरान के इस 'माखुनिक' नामक गांव में करीब 150 साल से बौने रह रहे हैं। कहा जाता है कि इस गांव में मौजूद लोगों की औसतन लंबाई करीब 50 सेंटीमीटर से भी कम है।

25 सेंटीमीटर इंसान की मिली मम्मी

2005 में जब इस गांव की खुदाई की गई, तब यहां से एक इंसान की मम्मी मिली थी, जिसकी लंबाई करीब 25 सेंटीमीटर थी। इस बात से अंदाजा लगाया जा रहा है कि कई सालों से यहां कम हाइट वाले लोग रहते होंगे। हालांकि जानकारों का कहना है कि यह मम्मी किसी पूर्व पैदा हुए बच्चे की भी हो सकती है। दरअसल, जानकार इस बात पर विश्वास नहीं करते कि इस गांव पर बौनों का डेरा था।

नहीं मिल पाते जरूरी पोषक तत्व

ईरान से दूर स्थित इस सूखे गांव के लोग प्योर वेजिटेरियन है। यहां के लोग चंद अनाज, जौ, शलजम, बेर और खजूर की खेती कर अपना पेट पालते हैं। इसी वजह से इन लोगों को शरीर के विकास के लिए जरूर पोषक तत्व नहीं मिल जाते। यही वजह थी कि यहां के लोगों का शारीरिक विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता था।

घरों की ऊंचाई है काफी छोटी

माखुनिक गांव में लगभग 200 घर हैं, जिनमें से 70 से 80 घरों की ऊंचाई 1.5 से 2 मीटर तक ही है। वहीं घर की छत 1 मीटर और 4 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर है। यही नहीं, यहां 10 से 14 वर्ग मीटर का एक भंडार घर भी है, जिसे 'कांदिक' कहा जाता था। जानकारों का कहना है कि सड़कों से दूर होने के कारण यहां के लोगों को सामान लाने में दिक्कत होती थी। यही वजह है कि यहां के लोग घर बनाने से कतराते थे।

शान के खिलाफ मानते हैं चाय पीना

ईरान में लोग चाय पीने का खूब चलन है लेकिन माखुनिक गांव के लोग अपनी शान के खिलाफ समझते थे। माना जाता था कि यहां जो लोग अफीम का नशा करते थे वही नशेड़ी चाय भी पिया करते थे।

अब ऐसी हो गई हालात

कुछ समय पहले तक इस गांव की हालत काफी खराब थी। हालांकि आज इस गांव के हालात काफी हद तक बदल गए हैं। सड़कों की वजह से ये गांव ईरान के दूसरे इलाकों से भी जुड़ गया है लेकिन बावजूद इसके यहां जिंदगी आसान नहीं है। सूखे की वजह से यहां खेती बहुत कम होती है। लिहाजा यहां के लोगों को अपना घर-बार छोड़कर दूसरे इलाकों में जाना पड़ता है। ऐसा अंदाजा है कि पर्यटन बढ़ाने से यहां रोजगार के साधन बढ़ सकते हैं।

Content Writer

Anjali Rajput