बड़ा फैसला! 'Fair & Lovely' अब नहीं रहेगी 'फेयर', 45 साल पुरानी क्रीम का बदलेगा नाम
punjabkesari.in Friday, Jun 26, 2020 - 09:25 AM (IST)
सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका जैसे देश में गोरेपन का क्रेज बहुत ज्यादा देखने को मिलता है। मगर, अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद रंग भेदभाव को लेकर दुनियाभर में रोष मचा हुआ है। इसी के चलते हाल ही में जॉनसन एंड जॉनसन ने काले धब्बों करने वाले उत्पादों को ना बेचने का फैसला किया है। वहीं, यही नहीं, इस रोष के चलते सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी HUL (Hindustan Unilever) ने अपने ब्रैंड "फेयर एंड लवली" का नाम बदलने की घोषणा कर दी है।
नाम बदलने जा रही है फेयर एंड लवली क्रीम
सुनने में आ रहा है कि कंपनी क्रीम के आगे से फेयर शब्द में फेरबदल कर सकती है। कंपनी का कहना है कि उनपर लगने वाले आरोप के चलते यह फैसला लिया गया है। कंपनी ने नए नाम के लिए आवेदन किया गया है जिसे अभी स्वीकृति नहीं मिली है। कंपनी के चैयमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर का कहना है कि वह स्कीन केयर का पोर्टफोलियो ओर भी व्यापक कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने साल 2019 में 2 चेहरे वाला कैमइयो और शेड गाइड भी हटा दिया था। इस बदलाव के कारण उन्हें काफी सकारात्मक रिसपोंस मिला, जिसकी वजह से अब वह ब्रांड के नाम में बदलाव कर रहे हैं।
We’re committed to a skin care portfolio that's inclusive of all skin tones, celebrating the diversity of beauty. That’s why we’re removing the words ‘fairness’, ‘whitening’ & ‘lightening’ from products, and changing the Fair & Lovely brand name.https://t.co/W3tHn6dHqE
— Unilever #StaySafe (@Unilever) June 25, 2020
कमाई का 50-70% हिस्सा "फेयर एंड लवली" के पास
45 साल पहले सन 1975 में हिंदुस्तान यूनीलीवर ने "फेयर एंड लवली" क्रीम लॉन्च की थी। एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में गोरेपन की क्रीम के बाजार का 50-70% हिस्सा "फेयर एंड लवली" के ही पास है। यही नहीं "फेयर एंड लवली" ने साल 2016 में 2000 करोड़ क्लब में भी प्रवेश किया था। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देशभर में गोरेपन को लेकर लोगों में कितनी दीवानगी है।
दुनियाभर के लोगों में गोरेपन का क्रेज
गोरेपन के इस जबरदस्त क्रेज की वजह से ही फेयरनेस क्रीम बेचने वाली कंपनियों का बिजनेस धड़ल्ले से चलता है। गोरा करने वाला साबुन हो या क्रीम, गांव से लेकर शहरों तक खूब तेजी से बिकते हैं। हैरान करने वाली बात तो यह है कि भारत में फेयरनेस क्रीम के बिजनेस ने करीब $500 मिलियन डॉलर का बढ़ावा दिया है।
असल में गोरापन क्या है?
त्वचा के सबसे ऊपरी हिस्से में मेलानोसोम्स कितने बड़े, और किस तरह बंटे हैं, यह सब जेनेटकली ही तय होता है। यह असल में एक बारीक थैली होती है, जिसमें मेलानिन या पिगमेंट भरे होते हैं, जो त्वचा के रंग पर भी असर डालते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, जितना कम मेलानिन त्वचा उतनी गोरी होगी लेकिन यह सब पेरेंट्स के जींस पर निर्भर करता है।
क्या वाकई गोरा करती हैं फेयरनेस क्रीम?
विशेषज्ञों का मानें तो त्वचा की रंगत में महज 20% ही बदलाव हो सकता है, इससे ज्यादा नहीं। गोरा करने वाली क्रीम्स मेलानिन के स्तर को कम कर देतr हैं लेकिन यह उसे नुकसान भी पहुंचाते हैं। वहीं क्रीम में मौजूद बाकी कारक अल्ट्रा वायलेट किरणों से स्किन का बचाव करते हैं लेकिन जरूरी नहीं कि हर क्रीम फायदेमंद हो।