निलंजना विश्वास: आवारा कुत्तों की मसीहा

punjabkesari.in Friday, Jul 30, 2021 - 10:54 PM (IST)

भारतीय परंपरा में प्राणियों की देखभाल बड़ा गुण है। इसी गुण की साक्षात उदाहरण हैं निलंजना विश्वास। जानें उनकी कहानी...

कुत्ते को सबसे अधिक वफादार जानवार माना जाता है, लेकिन कुत्तों के प्रति सच्ची वफादारी की बात करें तो पश्चिम बंगाल की नदिया जिले की एक महिला की छवि सामने आती है। गली के बेज़बान कुत्तों को खाना खिलाने से लेकर उनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए निलंजना विश्वास नामक उक्त महिला ने न केवल अपने गहने बेचे, बल्कि बैंकों को भारी-भरकम कर्ज भी लिया। निलंजना को कुत्तों से कितना लगाव है, इसका पता इस बात से चलता है कि वह रोजाना 400 कुत्तों को भोजन करवाती हैं।

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जिले के कल्याणी इलाके में रहने वाली निलंजना का पशु प्रेम किसी से छिपा नहीं है। वह कुत्तों को लिए बहुत ही संवेदनशील हैं। 47 वर्षीय की नीलंजना मानवता की एक जीती जागती मिसाल हैं। कुत्तों के लिए उन्होंने अपने दो लाख रुपए के जेवर बेच दिए और बैंक से तीन लाख का कर्ज तक लिया।

इसके लिए निलंजना को परिवार से फटकार पड़ी। वह रोजाना स्कूटर से घूम-घूमकर कुत्तों को खाना खिलाती हैं। कुत्ते उन्हें आता देख दूर से ही खुशी से दौड़ना, दुम हिलाना और करीब आने पर उन्हें चाटना शुरू कर देते हैं।

बकौल निलंजना- उन्होंने हमेशा कुत्तों से प्यार किया है। उनके घर पर 13 कुत्ते हैं और उनमें से 12 स्ट्रीट डॉग हैं। एक बार उन्हें महसूस हुआ कि कस्बे के दूसरे कुत्तों के प्रति भी उनकी कुछ जिम्मेदारियां बनती हैं, इसलिए उन्होंने खुद उनकी देखभाल करने का काम संभाला। निलंजना की कहानी और कुत्तों के प्रति दीवानगी यही खत्म नहीं होती। 

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उन्होंने कुत्तों के लिए फ्रीज से लेकर रसोई घर तक बनवाया हुआ है। उनके घर पर स्टोर रूम में एक रेफ्रिजरेटर है और कुत्तों के लिए खाना पकाने के लिए ईंधन (लकड़ी) के लिए एक भंडार घर भी है। इतना ही नहीं, खाना जानवरों के लिए है तो क्या सफाई का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। 

वह बताती हैं कि हम पहले कुछ प्लास्टिक के बर्तन सड़कों पर रखते हैं। फिर अलग-अलग बर्तनों में पानी, चिकन और चावल डालते हैं। हम उन्हें खिलाने के बाद क्षेत्र और बर्तनों को साफ करते हैं।

खुद मधुमेह से पीड़ित रहने के बावजूद वे हर दिन कुत्तों को खाना खिलाती हैं। निलंजना की वजह से ही कल्याणी इलाके के कुत्तों को कूड़े-कचरे में अपने पेट का निवाला ढूंढना नहीं पड़ता। 

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कुत्तों को रोजना गर्मागर्म घर का बना खाना मिलता है और बीमारियों से दूर स्वस्थ्य जिंदगी भी। अपने इस अदुभुत मानवतावादी आचरण के कारण निलंजना लोगों के लिए प्रेरणा और आवारा कुत्तों की मसीहा बन गई हैं। लोग उनके साथ जुड़कर जानवरों की सुरक्षा और खाने के लिए जागरूकता अभियान चलाते हैं।

नीलंजना हर महीने आवारा कुत्तों का पेट भरने के लिए 40 हजार रुपए खर्च करती हैं। कुत्तों के प्रति उनकी उदारता का यह हाल है कि उन्होंने दो लाख के सोने के गहने भी बेच डले और बैंक से कर्ज तक लिया।


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News Editor

Shiwani Singh

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