बच्चों को जरूर बताएं ये बातें, दूसरे भी करेंगे उनकी सिफत

punjabkesari.in Monday, Aug 14, 2017 - 04:56 PM (IST)

बच्चों के लिए अच्छी आदतें : कहते है बच्चे की पहली पाठशाला घर होती है और माता-पिता उसके पहले टिचर होते है। बच्चा बचपन में जो कुछ भी सिखता है उसमें पेरेंट्स का हाथ होता है। अब यह पेरेंट्स पर निर्भर करता है कि वह अपने बच्चे को कैसे व्यवहार में ढालना चाहते है। उन्हीं का फर्ज बनता है कि बच्चे को ऐसी शिक्षा और संस्कार दें जो उनके भविष्य के लिए बेहतर साबित हो। अगर आप भी चाहते है कि आपका बच्चा समझदार और अच्छा इंसान बने ताकि दूसरे लोग भी उसी के गुण-गाण गाए तो उन्हें बचपन से ही कुछ छोटी-छोटी बातें सिखाएं। हम आपको उन्हीं बातों के बारे में बताएंगे, जिनके बारे में बच्चों के बताना पेरेंट्स का फर्ज है। 

 

प्लीज और थैंक्यू
बच्चे वैसे ही व्यवहार करते है जैसा अपने से बड़ों को करते देखते है। इसलिए पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि जब भी बच्चे से बात करें या कोई चीज मांगे तो प्लीज शब्द का इस्तेमाल जरूर करें। इसी के अलावा बच्चे को दूसरों को थैंक्यू कहना जरूर सिखाएं। 

 

बड़ों की बात पर दख्ल
बच्चों को य बात सिखाना जरूरी है। जब दो बड़े आपस में बात कर रहे हो तो छोटेो को बीच में नहीं बोलना चाहिए। इससे बड़ों के सामने आपका गलत इंम्प्रैशन पड़ेगा। 

 

हर बात की अनुमति
यह आदत बच्चों में होनी जरूरी है नहीं तो बच्चा बिगड़ जाता है। बचपन में ही बच्चे को हर किसी काम के लिए अपनों से बड़ों से अनुमति लेना जरूर सिखाएं। इससे बच्चे में गुड मैनर्स आएगे।

 

दूसरों की बात का जवाब कैसे दें
अगर कोई बच्चो से उनका हाल-चाल पूछे तो कैसे जवाब देना। इस बात को भी बच्चों को जरूर सिखाएं। अक्सर होता है कि कोई आपसे बच्चों का हाल-चाल पूछता है तो वह चुप-चाप खड़ा होता है या कुछ उल्टा ही जवाब दे देता है। 

 

कमरे में जाने से पहले डॉर नॉक
बच्चों को सिखाए कि जब भी किसी के कमरे या घर में जाना हो तो सबसे पहले दरवाजा खटकटाएं। न कि सीधे ही अंदर चले जाए। बच्चों की यह गलत आदत उन्हें दूसरों की नजरों में गिरा सकती है। 

 

छींक आने पर मुंह पर हाथ
अधिकतर बच्चों छींकते और खांसते समय मुंह पर रूमाल नहीं रखते जिससे दूसरों को दिक्कत होती है। ऐसे में बच्चों के सिखाएं कि हमेशा अपने पास रूमाल रखें। छींक या खांसी आने पर उसे अपने मुंह पर रखें। 

 

गलत भाषा ना बोलें
बच्चे अक्सर गलत भाषा का इस्तेमाल करना सीख जाते है। यह पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि बच्चों के सामने गलत भाषा का इस्तेमाल न करें। अगर बच्चों इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करता भी है तो उसे प्यार के साथ समझाएं। 

 

 


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