कौन से लोग 'Cervical pain' के होते हैं जल्दी शिकार

punjabkesari.in Thursday, Aug 31, 2017 - 02:55 PM (IST)

अक्सर लोग समय रहते छोटी-मोटी परेशानियों को अनदेखा कर देते हैं और जब यह कंट्रोल से बाहर चली जाती हैं तो इसके लिए कई तरह के उपचारों का सहारा लेते हैं। मोटापा, माइग्रेन, डायबिटीज और सर्वाइकल जैसी परेशानियां भी ऐसी हैं जिन्हें अगर आप समय रहते कंट्रोल में नहीं करते तो आगे चलकर यह आपको सेहत से जुड़ी बहुत सारी दिक्कतें दे सकती है। 

सर्वाइकल की परेशानी भी आजकल आम सुनने को मिल रही है। इसके तेजी से बढऩे का कारण लोगों को बदलता लाइफस्टाइल है। घंटों एक ही जगह पर बैठकर काम करने  या नजर और गर्दन को एक ही जगह पर टिकाए रखने वाले लोगों को यह परेशानी आम ही हो जाती है। गर्दन में दर्द की समस्?या सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस कहा जाता है। इस समस्या में दर्द गर्दन के पिछले हिस्से से लेकर कंधों और बाजू तक जाता है। जैसे जैसे समस्या बढ़ती हैं दर्द रीढ़ की हड्डी तक भी पहुंचता है। सही समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह गर्दन से शुरू होकर कंधे से होता हुआ पैरों के अंगूठे तक पहुंच जाता है, जिससे अच्छे से नींद भी नहीं आती। सर्वाइल के दर्द के बहुत से कारण होते हैं जिनकी अनदेखी करने से ही लोग इस दर्द से जूझ रहे हैं। 

1. किन लोगों को होती है सर्वाइकल प्रॉब्लम 

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कुछ लोग लगातार गर्दन को झुकाकर काम करते हैं, जिस कारण वह जल्दी सर्वाइकल दर्द की चपेट में आ जाते हैं। सिलाई का काम करने वाले लोग, कंप्यूटर पर लगातार बैठे रहना, मोबाइल का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करना भी परेशानी का कारण बन सकता है। 

गलत तरीके से बैठना
सर्वाइकल की प्रॉबल्म का एक कारण लोगों का गलत तरीके ले बैठना है। लगातार कई घंटों तक गर्दन झुकाकर रखने से गर्दन में ऐंठन आनी शुरू हो जाती है। काम करते समय बीच-बीच में आराम भी करें। 

ऊंचा तकिया लेकर सोना
कुछ लोग सोते समय जरूरत से ज्यादा ऊंचा तकीया लेकर सोते हैं, जिससे गर्दन में तेज दर्द होने लगती है। इससे सर्वाइकल बढऩे लगती है। बेहतर है की गर्दन के नीचे पतला नेक पिलो लेकर सोएं। 

चोट के कारण
खेलते समय या किसी अन्य कारण से रीढ़ की हड्डी में चोट लग जाने पर भी सर्वाइकल हो सकती है। इसके अतिरिक्त  भारी बोझ उठाना  भी सर्वाइकल का कारण बनता है। 

गलत लाइफस्टाइल 
बिजी लाइफ के चलते लोग अपने खान-पान पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते और बाहर का खाना ज्यादा खाते हैं और शारीरिक श्रम ना के बराबर ही करते हैं। इन बुरी आदतों की वजह से भी सर्वाइकल जैसी समस्याएं होना आम है। 

ऑस्टियोआर्थराइटिस 
ऑस्टियोआर्थराइटिस एक प्रकार का जोड़ों का दर्द है, इसमें हड्डियों को स्पोर्ट करने वाले ऊतक किसी कारण टूटना शुरू हो जाते हैं। इस समस्?या के कारण भी व्?यक्ति सर्वाइकल से ग्रस्?त हो सकता है।


2. शुरूआती लक्षण
इससे बचने के लिए इसके शुरूआती लक्षणों को तुरंत पकड़कर इलाज करना बहुत जरूरी है। 

गर्दन में जकडऩ
इस दर्द की शुरूआत में गर्दन को झुकाने में परेशानी होती है, जिससे गर्दन में जकडऩे महसूस होने लगती है। कई बार तो गर्दन झुकाने से आंखों में भी दर्द होने लगता है। 

गर्दन में दर्द
जब झुकने में परेशानी होने लगे तो धीरे-धीरे इससे दर्द भी होने लगता है। सोते समय,छीकतें,हंसते और गर्दन को इधर-उधर घुमाने से भी दर्द महसूस होता है। 

सिर दर्द
गर्दन के पिछले हिस्से से दर्द शुरू होकर सिर में भी जाता है। यह सिरदर्द आम नहीं होता। सिर में भारीपन महसूस होता है। सर्वाइकल का यह शुरूआती लक्षण है। 

बाजू का दर्द
सर्वाइकल दर्द के शुरूआती लक्षणों में यह दर्द बाजू में जाता है, जिससे बाजू का दर्द समझकर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। 

3. इन तरीकों से पाएं राहत

व्यायाम
गर्दन को धीरे-धीरे दाएं से बाएं और बाएं से दाएं कंधे की तरफ लेकर जाएं। इस तरह 4-5 बार प्रक्रिया को दोहराएं। गर्दन दर्द होने पर व्यायाम करना बंद कर दें। नियमित व्यायाम से गर्दन के दर्द को कम किया जा सकता है। 

सिकाई

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गर्दन की दर्द होने पर ठंड़ी या फिर गर्म सिकाई करें। इन दोनों के अलग-अलग फायदे है। गर्म सिकाई से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और ठंडी सिकाई से सूजन और चुभन कम होती है।

इस तरह करें उपचार
गर्म सिकाई करने के लिए बोतल में गर्म पानी डालकर तौलिया में लपेट कर गर्दन को सेंक दें। ध्यान रखें कि पानी ज्यादा गर्म न हो। इसके अलावा ठंड़ी सिकाई के लिए बर्फ के टुकड़ों को तौलिए में लपेट कर इस्तेमाल करें। 

लहसुन
लहसुन के एंटीबैक्टीरियल गुण दर्द को कम करने में मदद करते हैं। इससे सूजन और जलन भी ठीक हो जाती है। 

ऐसे करें उपचार 
हर रोज सुबह खाली पेट पानी के साथ लहसुन का सेवन करें। इसके अलावा तेल में लहसुन को भुनकर गुनगुना होने पर गर्दन की मसाज करें। 

सेब का सिरका
सेब का सिरका गर्दन की दर्द और सूजन से राहत दिलाने का काम करता है। 

ऐसे करें उपचार
कपडे पर सेब का सिरका लगाकर दर्द वाले हिस्से पर कुछ देर के लिए रखें। इसका इस्तेमाल दिन में दो बार करें। इसके अलावा नहाने के पानी में कुछ बूंदे सिरके की डाल लें। 

कोई भी उपचार करने से पहले एक बार चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।

 

- वंदना डालिया


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