प्रैग्नेंसी में जेस्‍टेशनल डायबिटीज हो सकती है खतरनाक

punjabkesari.in Saturday, Aug 19, 2017 - 01:11 PM (IST)

गर्भवती महिला की देखभाल : प्रैग्नेंसी के दौरान अक्सर महिलाओं के खून में ग्लूकोस की मात्रा काफी ज्यादा हो जाती है। शरीर में ग्लूकोस बढ़ने को जेस्‍टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। प्रैग्नेंसी के दौरान होने वाली यह बीमारी बच्चे के विकास में बाधा बन सकती है। इसके बारे में महिलाओं को जानकारी न होने के कारण उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आज हम आपको इस बीमारी के लक्षण और ऐसे उपाएं बताएगें जिससे इस बीमारी से बचा जा सकता है।

 

1. लक्षण
अक्सर प्रैग्नेंसी में इस बीमारी के लक्षणों को पहचानना मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी के कारण आपको थकान, मुंह सूखना, अधिक प्यास लगना, धुंधला दिखाई देना और अत्याधिक पेशाब आना जैसे समस्याए होने लगती है। जिसे आप आम समस्या समझ कर इग्नोर कर देती है। इस तरह की समस्यां होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

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2. भविष्य में खतरा
आजकल डायबीटिज होना एक आम समस्यां हो गई है लेकिन प्रैग्नेंसी में इस बीनारी के होने का खतरा बढ़ जाता है। अक शोध के अनुसार जिन महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज हो जाती है उनके लिए भविष्य में डायबिटीज का खतरा 35 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।

 

3. वजन बढ़ना
प्रैग्नेंसी के पहले दो महीने में वजन बढ़ने से जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। वैसे तो हार्मोन में परिवर्तन के कारण आपको यह बामारी कभी भी हो सकती है लेकिन प्रग्नेंसी के शुरुआती महीनों में इसके होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इससे बचने के लिए आपको नियमित जांच कराते रहना चाहिए।

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4. आनुवांशिक डायबिटीज के कारण
अक्सर जो पहली बार गर्भ धारण करने वाली महिलाओं को इस बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा रहता है ब्लड शुगर का बहुत अधिक होना या फिर अनियं‍त्रि‍त होने से भी इसका खतरा बढ़ जाता है लेकिन कई बार ये बीमारी प्रैग्नेंसी के बाद अपने आप खत्म हो जाती है।

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5. यूरिन टेस्‍ट कराना
प्रैग्नेंसी के दौरान यूरिन टेस्‍ट में ग्लूकोस का स्तर आराम से देखा जा सकता है। अगर आपका ग्लूकोस का स्तर सामान्य से ज्यादा होता है तो ये जेस्टेशनल डायबिटीज होने का संकेत हो सकता है। ऐसे में आपको फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोस टेस्ट कराना चाहिए। यह टेस्ट प्रैग्नेंसी के 24 से 28 सप्ताह के अंदर ही करवाया जाता है।

 

6. बचने के उपाए
इससे बचने के लिए आपको हर दिन कम से कम चार बार अपना ब्लड शुगर चेक करना चाहिए। प्रैंग्नेंसी के दौरान आपको शुगर का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए और संतुलित खान-पान लेना चाहिए। इसके अलावा आप अपने वजन को नियत्रिंत रखने के लिए डॉक्टर की सलाह से कोई हल्की सी एक्सरसाइज भी कर सकती है।

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