बच्चों में सुधारे सोने की आदतें, नहीं तो हो सकती है एकाग्रता की कमी

punjabkesari.in Saturday, Nov 18, 2017 - 11:40 AM (IST)

अक्सर बच्चे पढ़ाई न करने के लिए कोई न कोई बहाना तो ढूंढ ही लेते है। ऐसे में बच्चों का ध्यान पढ़ाई पर लगाने और एकाग्रता बढ़ाने के लिए पेरेंट्स उनकी डाइट पर पूरा ध्यान देते है लेकिन इसके सात बच्चों की नींद पूरी होना भी बहुत जरूरी है। बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना हाइपरएक्टिविटी डिजॉर्डर (एडीएचडी) भी हो सकता है। हाल ही में हुए शोध के अनुसार 70 प्रतिशत बच्चों में एकाग्रता की कमी का कारण नींद पूरी न होना है।

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शोधकर्ताओं के अनुसार जिन बच्चों को सोने में परेशानी या नींद न आने की समस्या होती है उन्हें यह डिजॉर्डर हो सकता है। इसके कतारण बच्चें पढ़ाई पर ठीक से ध्यान नहीं हे पाते और न ही कुछ याद रख पाते है। इससे बच्चे शारीरिक गतिविधियों पर भी अपना ध्यान नहीं लगा पाते।

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रिपोर्ट के मुताबिक इस डिजॉर्डर से बच्चों को बचाने के लिए उनकी दिनचर्या हमेशा एक जैसी रखनी चाहिए। जिन बच्चों को सोने में परेशानी नहीं होती उनका दिमाग तेजी से काम करता है। इसके अलावा समय पर नींद लेने पर बच्चे चिड़चिड़े और जिद्दी भी नहीं होते है।

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अच्छी नींद लेने वाले बच्चे हर काम में अपना ध्यान ठीक से केन्द्रित कर पाते है जबकि अधूरी नींद लेने वाले बच्चों को पूरा दिन सुस्ती रहती है। अच्छी डाइट होने के बावजूद भी बच्चे किसी भी काम में अपना ध्यान नहीं लगा पाते। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि वो बच्चों की रूटीन को एक जैसा रखें।

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