Exam Time :  डर नहीं, बनें बच्चे का हौसला

punjabkesari.in Friday, Feb 09, 2018 - 01:52 PM (IST)

सारा साल पढ़ाई स्कूल जाने के बाद बच्चों में जहां फाइनल एग्जाम का डर बना रहता है, वहीं इस बात की खुशी भी होती है कि वह नई क्लास में जाने वाले हैं। इसी के साथ पेरेंट्स को यह परेशानी सताती है कि कहीं इस बार पढ़ाई में उनके बच्चे के आगे कोई और स्टूडेंट न निकल जाए। अव्वल आने की इस होड़ में पेरेंट्स द्वारा बनाया गया दवाब उनके लिए मानसिक परेशानी बन जाता है। ऐसे में बच्चो को डांट-फटकार कर पढ़ाने की बजाए उनकी प्रॉब्लम को समझने की जरूरत है। कई बार तो कुछ पेरेंटस बच्चों को न पढ़ने पर सजा भी देते हैं, जो कि बिल्कुल गलत बात है। मनोविज्ञानिक भाषा में इस समस्या को एंग्जाइटी डिसऑर्डर कहते हैं। बच्चे को इसमें धकेलने की बजाए इससे निकालने की कोशिश करें।

एंग्जाइटी डिसऑर्डर
बहुत से बच्चों में यह समस्या देखने को मिलती है। इस समस्या के कारण उनका स्वभाव बहुत ही चिड़चिड़ा हो जाता है, जिसके कारण वह जो कुछ भी परीक्षा के लिए याद करते है वह सब कुछ भूल जाते हैं। फेल होने का डर, आत्मविश्वास में कमी भी इसी समस्या की निशानी है। कई बार तो तनाव से ग्रसित बच्चे घर से स्कूल के लिए निकल जाते हैं लेकिन स्कूल पहुंचते ही नहीं। इसी वजह से कुछ बच्चे गलत संगत में भी फंस जाते हैं। ऐसे में माता-पिता को उसे डांट कर पढ़ाने की बजाए प्यार से समझाने की जरूरत है। पढ़ाई में आने वाली मुश्किलों के लिए डांटें नहीं बल्कि उनकी मदद करें। 
इन तरीकों से तनाव रहित कर सकते हैं।

1. टाइम-टेबल को दें अहमियत

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अगर आप चाहते है कि आपके बच्चे परीक्षा के दिनों में घबराएं नहीं तो आप शुरू में ही उनकी पढ़ाई का टाईम-टेबल बनाएं ताकि समय रहते उनका पाठ्यक्रम पूरा कर सकें। जिससे बाद में उन्हें स्लेबस दोहराने का भी टाईम मिल जाए। इसे अपनाने से उन्हें परीक्षा के दिनों में किसी तरह का डर नहीं रहेगा और वह जो भी याद करेंगे, उसे कभी भी भूलगा नहीं।

2. पेपर पैटर्न को समझना जरूरी
एग्जाम में बैठने से पहले बच्चों को पेपर का तरीका समझने की बहुत जरूरत होती है।
इससे बच्चे को किसी तरह की कंफ्यूजन नहीं रहेगी। ऐसे में आप बच्चे को पिछली बार का पैटर्न पेपर हल करने को दें। इस से भी उनका तनाव बहुत कम होगा। फाइनल परीक्षा में उसे किसी तरह की घबराहट नहीं होगी।

3. परीक्षा में जाने से पहले
डेट शीट आ जाने पर खुद भी बच्चे के साथ कमर कस लें। उसे पौष्टिक आहार खिलाएं ताकि किसी तरह की कमजोरी उसके प्रदर्शन में बाधा न बने। दूध, ड्राई फ्रूट,दहीं, सूप,सलाद आदि बैस्ट हैं। उस पर किसी तरह का दवाब न डालें, कुछ भी नया पढ़ाने की कोशिश न करें। ऐसा करने से वह पहला पढ़ा भी भूल सकता है। पढ़ाई के अलावा थोड़ा हंसी-मजाक,गेम्स या फिर उसका फेवरेट प्रोग्राम भी देखने को दें लेकिन इसका समय सीमित होना बहुत जरूरी है। इससे वह परीक्षा अच्छे से दे पाएगा।

4. परीक्षा शुरू होने पर

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सबसे पहले परीक्षा में वहीं प्रश्न का जबाव देने की सलाह दें जो उन्हें अच्छी तरह से आता हो। बच्चें प्रश्न पत्र को पढ़ने में हड़बड़ी न करें। अगर आपको किसी प्रश्न का जबाव नहीं आता। उस पर उलझे रहने की बजाए अगले सवाल को हल करें। सारा पेपर हल करने पर इसे जमा करने से पहले एक बार जांच लें। समय सीमा के बारे में बच्चे को बताना भी बहुत जरूरी 


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