Golden Temple से जुड़े कुछ अनसुने फैक्ट्स

punjabkesari.in Wednesday, Jun 07, 2017 - 11:41 AM (IST)

पंजाब केसरी(लाइफस्टाइल) : हर जिले की अपनी-अपनी खासियत होती है। इसी तरह पंजाब भी अपने मशहूर गुरूदवारे से दुनियाभर में मशहूर है। इस गुरूदवारे को Golden Temple का नाम भी दिया गया है। सोने से बने इस स्वर्ण मंदिर में केवल सिख धर्म के ही नहीं बल्कि अन्य धर्म के लोग भी पूरी आस्था के साथ आते है। इतना ही नहीं, विदेशों से यहां कई टूरिस्ट भी आते है और इस मंदिर के आकर्षण का केंन्द्र बनते है। आज हम आपको इस स्वर्ण मंदिर से जुड़े कुछ फैक्ट्स के बारे में बताएंगे, जिनसे बहुत सारे लोग आज भी अंजान है। 


1. आपको बता दे कि इस मंदिर की नींव मुसलमान पीर सूफी संत साईं मिया मीर ने  दिसंबर 1588 रखी थी। मिया मीर जी का झुकाव सिख धर्म की ओर काफी था। वह लाहौर के रहने वाले थे और सिखों का पांचवे गुरू अर्जन देव जी प्रिय मित्र थे। 

2. इस मंदिर में बने बड़े तालाब का निर्माण सिखों के चौथे गुरू रामदासजी ने किया था। 

3. इस मंदिर को कई बार नुकसान पहुंचाया गया लेकिन लोगों की भक्ति और आस्था के चलते इस मंदिर का फिर से निर्माण करवा दिया गया। 

4. यह मंदिर पहले पत्थरों और ईंटों से बना हुआ था लेकिन फिर बाद में इसको नया रूप देने के लिए सफेद मार्बल का इस्तेमाल किया गया। 

5. 19वीं शताब्दी में अफगान हमलावरों ने इस मंदिर को पूरी तरह से नष्ट ही कर दिया था लेकिन महाराजा रणजीत सिंह ने इस फिर से निर्माण करवाया और इसके गुंबद पर सोने की परत चढ़वा दीं।  इस मंदिर से जुड़ी सारी जानकारी वहां लगे शिलालेखों से पता चल जाती है। 

6. इस मंदिर में बनी सीढ़ियां ऊपर की ओर नहीं बल्कि नीचे की तरफ जाती है लेकिन क्या आपने कभी सोचा ऐसे क्यों। अगर नहीं तो हम बता दे कि इन सीढियों का इस प्रकार से बना का महत्तव है कि यह इंसान को ऊपर से नीचे आना सिखाती है। 

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7. गुरदवारे में बने चार मुख्य दरवाजे बनाने का मतलब है कि इसमें सभी धर्म के लोग अपनी आस्था के साथ प्रवेश कर सकते है। 

8. इस मंदिर की रसोई को दुनिया की सबसे बड़ी रसोई कहा जाता है क्योंकि यहां हर रोज 70-75 लोगों का खाना बनता है। ऐसा कहा जाता है कि पहले समय में मुगल बादशाह अकबर ने भी यहां आम लोगों के साथ बैठकर लंगर का स्वाद लिया है। 
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