करनाल से शुरू होकर आसमान तक पहुंची कल्पना की उड़ान

punjabkesari.in Friday, Mar 17, 2017 - 01:11 PM (IST)

लाइफस्टाइल: सपनों को हकीकत में बदलने की कल्पना हर कोई करता हैं लेकिन इनको सच करने के इरादे भी मजबूत होने चाहिए। ऐसे ही बूलंद इरादे रखने वाली कल्पना चावला आज हर भारतीय महिला के लिए मिसाल बनी हुई हैं। कल्पना हरियाणा के करनाल शहर के परिवार की बेटी है, जहां महिलाओं को घर की दहलीज पार करने की इजाजत नहीं होती । कल्पना ने घर की चार दीवारों में अपने आप को कैद करने के बजाएं, अपनी पहचान पहली भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री के रूप में  बनाई। 


17 मार्च का दिन हर भारतीय महिला के लिए खास है क्योंकि इसी दिन 1962 में कल्पना ने हरियाणा के करनाल में एक हिंदू परिवार में जन्म लिया था। कल्पना के हौसले और इरादे इतने मजबूत थे  कि उन्होंने आखिर कार आसमा कोे अपने समाने झुका दिया। कल्पना अपने चार भाई-बहनों में से सबसे छोटी थी, प्यार से सभी उन्हें मोटू कहा करते थे। 


कल्पना के पिता का सपना था कि वह  डॉक्टर या टीचर बने, लेकिन वह तो इससे भी कुछ बड़ा सोचकर बैठी थी, तभी तो उन्होंने अपना अंतरिक्ष में घूमने का ख्वाब पूरा किया। ऐसा माना जाता है कि कल्पना जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा से काफी इंस्पायर्ड थीं। उन्होंने अपनी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अंतरिक्ष में 372 घंटे का सफर तैय किया और 52 परिक्रमाओं को पूरा कर शहीद हो गई। 



अगर कल्पना चावला की एजुकेशन की बात करें तो उन्होंने 1982 में चंडीगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री पास कीं और साल 1984 से टेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर साल 1988 में नासा के काम की शुरूआत कर दीं।  फिर नासा ने 1995 में कल्पना को भारत की पहली महिला के रूप में अंतरिक्ष यात्रा के लिए चुना। कल्पना ने अंतरिक्ष की पहली उड़ान 87 कोलंबिया शटल शुरू की और इसकी अवधि 19 नवंबर 1997 से 5 दिसंबर 1997 रखी गई थी। 

 

वहीं कल्पना ने अपनी दूसरी उड़ान 16 जनवरी, 2003 में  स्पेस शटल कोलम्बिया से शुरू कीं। यह  अंतरिक्ष मिशन 16 दिनों तक जारी रहा, जो विज्ञान और अनुसंधान पर आधारित था। परन्तु किसे पता था, कल्पना की उड़ान केवल यहीं तक सिमित थी। 2003 इस आखिरी मिशन से धरती पर लौटते हुए कल्पना समेत उनके 6 साथियों की मौत हो गई। कल्पना ने लोगों के दिलों में ऐसी छाप छोड़ी कि आज उनके जीवन पर आधारित फिल्में भी बनाई जा रही हैं। 


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